प्रशासन ध्यान दे तो हो जाये राहत, आखिर ये एंबुलेंस किस दिन काम आएगी ?

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ठेका नहीं होने से इंदौर में पचास एंबुलेंस का नहीं हो रहा उपयोग, फरवरी से बेकार खड़ी है

पूरे देश में जहां मेडिकल सुविधाओं का अभाव चल रहा है वही इंदौर प्रशासन भी इन परेशानियों से रूबरू हो रहा है । एक तरफ मरीजों को एंबुलेंस मिलना मुश्किल हो रही, दूसरी ओर इंदौर में 50 तो प्रदेशभर में करीब 100 एंबुलेंस का उपयोग ही नहीं हो रहा।

दरअसल ये एंबुलेंस दीनदयाल चलित अस्पताल योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में चलाई जा रही थीं। फरवरी 2021 में सरकार द्वारा योजना बंद कर देने के बाद से बेकार खड़ी हुई हैं।

इन एंबुलेंस का कॉन्ट्रैक्ट सितंबर 2021 तक का था, लेकिन सरकार ने मौजूदा कोरोना संकट के बावजूद न तो इनका कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाया और ना ही उपयोग में लाने की कोई पहल की, जबकि ऑक्सीजन सहित सभी सुविधाओं से युक्त ये एंबुलेंस कोरोना संकट से निपटने में बड़ी मददगार साबित हो सकती हैं।

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इंदौर की ही बात करें तो प्रेस कॉम्प्लेक्स, लसूड़िया रेलवे क्रॉसिंग और लोकमान्य नगर में लगभग 50 एंबुलेंस खड़ी हुई हैं।

ऐसे ही एक संचालक विजय मालवीय का कहना है कि हमारा कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो चुका है। अभी भी यह चालू कर दी जाए तो शहर में ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीजों की संख्या कम हो सकती है।

संदिग्धों की पहचान में भी आसानी होगी। यह सभी 108 एंबुलेंस की तरह टेंपो ट्रैवलर पर बनी हुई हैं। इनमें जीपीआरएस और बायोमेट्रिक की भी व्यवस्था है।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।