दुकान खोले तो पुलिस के डंडे और नहीं खोले तो बिजली विभाग की पेनल्टी, बुरा फंसा व्यापारी ।

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sadbhawnapaati
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इंदौर । अभी व्यापार बंद …दुकानें बंद.. सारे काम धंधे बंद और शटर के नीचे बिजली के बिल , ऊपर से भुगतान की अंतिम तिथि भी 13 मई है। अब कैसे बिजली बिल भुगतान करें ? ऑनलाइन के जानकार व्यापारी कम, यह समझ से परे है, दुकान खोलो तो पुलिस और नगर निगम की पेनल्टी और अगर दुकान नहीं खोलते हैं तो बिजली विभाग की पेनल्टी। हर तरह से व्यापारियों का मरण अब समझ से परे है।

दरअसल इन दिनों बिजली बिल का वितरण का दौर चल रहा है और मुख्य बाजारों से लेकर दूरदराज के इलाकों में भी बंद शटर के नीचे बिजली के बिल भेजे जा रहे हैं । इसमें भी ऑनलाइन भुगतान के जानकार का प्रतिशत भी बेहद कम होने से व्यापारी असमंजस में है कि आखिर क्या करें ? इसके लिए बिजली अधिकारियों से भी संपर्क किया जा रहा है क्योंकि बिजली कनेक्शन भले ही विच्छेद ना हो लेकिन अगर बिजली बिलों का भुगतान नहीं किया तो पेनल्टी अधिक लग सकती है। कमर्शियल बिजली बिल पहले ही अधिक आता है इसलिए परेशानी बनी हुई है। पहले ही लॉकडाउन के चलते हालत खराब है और दुकाने नहीं खोल पा रहे हैं लेकिन व्यापार व दुकानें बंद होने के बावजूद बिजली बिल बराबर समय पर विद्युत विभाग द्वारा पहुंचाए जा रहे हैं।

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शहर में 5 लाख 35 हजार घरेलू उपभोक्ता है, 1 लाख 16 हजार 835 कमर्शियल उपभोक्ता है तो 30 हजार 716 उद्योग उपभोक्ता हैं जिनके बिल वितरण का काम तेजी से किया जा रहा है। इसमें घरेलू उपभोक्ताओं के घर बिजली के बिल पहुंचाने पर ऑनलाइन भुगतान का प्रयास किया जाता है क्योंकि अभी कार्यालय भी बंद है इसलिए ऑनलाइन भुगतान का प्रयास है लेकिन दुकानों के शटर के नीचे के बिजली बिल का भुगतान करना थोड़ा मुश्किल हो रहा है। बिजली कंपनी के पास उपभोक्ताओं के रजिस्टर्ड नंबर भी कम ही है वही ऑनलाइन भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या भी कम है। ऐसे में फजीहत व्यापारियों की अधिक हो रही है।

पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के शहर अधीक्षण यंत्री कामेश श्रीवास्तव ने बताया कि मुश्किल तो है, अब हम भी क्या कर सकते हैं। वैसे ऑनलाइन भुगतान बिजली का बिल का किया जा सकता है। हमारा काम है बिजली बिल भेजना और पेनल्टी तो लगेगी इसमें हम कुछ नहीं कर सकते हैं।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।