इंदौर के प्रसिद्ध जीतू ठाकुर हत्याकांड में युवराज काशिद (उस्ताद) समेत तीन बरी, दो को आजीवन कारावास

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करीब 15 साल पहले हुए जीतू ठाकुर हत्याकांड के मामले में सोमवार को अदालत ने फैसला सुनाया।
न्यायालय ने युवराज उस्ताद सहित तीन को बरी कर दिया और दो को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

घटनाक्रम 2007 का है। 23 जनवरी 2007 को महू उपजेल में जीतू ठाकुर की हत्या कर दी गई थी। जीतू ठाकुर से मुलाकात करने के बहाने आरोपी जेल में घुसे और वहीं पर गोली मार दी।

घटना के बाद आरोप लगे थे कि युवराज उस्ताद अपना वेश बदलकर जेल में घुसा था और जीतू को गोली मारी। यह बात सामने आई थी कि अपने पिता विष्णु उस्ताद की हत्या का बदला लेने के लिए युवराज उस्ताद ने यह हत्या की है।
इस हत्याकांड के बाद युवराज उस्ताद कई दिनों तक फरार रहा। बाद में उसने मिल क्षेत्र की एक बस्ती में सरेंडर किया था। प्रकऱण में छह आरोपी बनाए गए थे, जिनमें युवराज उस्ताद का नाम भी शामिल था।
कोर्ट में केस चलने के दौरान एक आरोपी की मौत हो गई थी। पांच आरोपी शेष थे। इनमें से तीन को कोर्ट ने बरी कर दिया और दो को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

युवराज उस्ताद के वकील ने रखे ये तर्क

कोर्ट में पैरवी के दौरान युवराज की ओर से वकील अविनाश सिरपुरकर ने तर्क रखे कि उसका हत्याकांड से कुछ लेना देना नहीं है।
23 जनवरी 2007 को जिस दिन जीतू ठाकुर की महू की उपजेल में गोली मारकर हत्या की गई थी उस दिन युवराज एक अन्य मामले में महाराष्ट्र की जेल में बंद था।
जब वह जेल में बंद था तो फिर हत्या कैसे कर सकता है। कोर्ट ने एडवोकेट सिरपुरकर के इस तर्क को सही मानते हुए युवराज को बरी कर दिया। यशवंत और करण को भी बरी किया।
अशोक सूर्यवंशी और विक्की उर्फ विनोद को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। आरोपी अशोक मराठा की प्रकरण के विचारण के दौरान मौत हो चुकी है।
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