Indore News | इंदौर के आसपास फर्निचर क्लस्टर और खिलौना क्लस्टर की योजना जमीन पर आ चुकी है। अब दो नए क्लस्टर भी विकसित होंगे। एक प्लास्टिक और दूसरा होगा ग्रीन एनर्जी क्लस्टर। चारों क्लस्टर का विकास पूरा कर 2022 में इन्हें शुरू करने की योजना प्रदेश सरकार की है। मप्र के सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग मंंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने शुक्रवार को यह बात कही। चारों क्लस्टर के जरिए करीब 30 हजार लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
फर्निचर क्लस्टर के लिए बेटमा के पास जमीन चिन्हित हो चुकी है। 450 एकड़ पर यह क्लस्टर बनेगा। 150 करोड़ के निवेश को सहमति मिली है और इससे 12 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। खिलौन क्लस्टर केे लिए रंगवासा में जमीन तय की गई है। 12 एकड़ जमीन पर बनने वाले खिलौना क्लस्टर में 70 करोड़ का प्रारंभिक निवेश तय हो चुका है। इसमें 4 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। दो नए क्लस्टरों में से प्लास्टिक क्लस्टर का विकास भी बेटमा के पास होगा। यह भी करीब 200 एकड़ में होगा जबकि 300 करोड़ के निवेश की उम्मीद है। इससे 10 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। इसी तरह नया ग्रीन एनर्जी क्लस्टर पुनासा के पास बनाया जाएगा। मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा की मौजूदगी में प्रदेश के सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने इंदौर के उद्योगपतियों के सामने चारों क्लस्टरों पर प्रेजेंटेशन दिया। होटल रेडिसन में आयोजित प्रजेंटेशन के बाद मंंत्री ने कहा कि क्लस्टरों को जमीन देने के बाद खुद उद्योगपति एक कंपनी (एसपीवी) बनाकर क्लस्टर का विकास करेेंगे। क्लस्टर से रोजगार भी बढ़ेंगे और प्रधानमंत्री का मैक इन इंडिया का मिशन भी पूरा हो सकेेगा। चीन पर आयात की निर्भरता भी इससे कम होगी। उद्योगमंत्री ने कहा कि जो भी उद्योगपति क्लस्टर विकसित करना चाहते हैं वह जमीन चिन्हित करे चाहे व निजी भूमि हो या शासकीय। सरकार पूरा सहयोग करेगी। सांसद शंकर लालवानी ने भी इस मौके पर कहा कि इंदौर और प्रदेश अपनी लोकेशन का लाभ ले सकता है। इंंदौर के पास जल्द ही 150 एकड़ में लाजिस्टिक हब बनाया जाएगा। प्रेजेंटेशन में विभाग के प्रमुख सचिव व उद्योग आयुक्त पी नरहरि मौजूद रहे।
उर्जा के लिए उद्योगों की छत
दूसरी सत्र में रुफटाफ सोलर एनर्जी प्लांट को लेकर उद्योगपतियों को जानकारी दी गई। उर्जा सचिव विवेक पोरवाल बताया कि उद्योगपति अपने उद्योगों की छत सोलर प्लांट के लिए दे। विश्व बैंक की योजना के तहत उन्हें सस्ता लोन मिलेगा। एक भी रुपया खुद खर्च नहीं करना होगा। खास बात ये कि इसके जरिए उन्हें खुद भी सस्ती बिजली मिल सकेगी और शेष बिजली प्लांट से अन्य जगह वितरित होगी जिसका पैसा लोन की भरपाई के रूप में जाएगा। इससे प्लांट लगाने उद्योगपति और एजेंसी दोनों का फायदा है। यह योजना 8 से 10 वर्ष तक की होगी उसके बाद बिना किसी शूल्क के प्लांट उद्योगों को हस्तांतरित किया जायेगा। सेमिनार में मंच पर एआइएमपी के अध्यक्ष प्रमोड डफरिया, भाजपा आर्थिक प्रकोष्ठ के संयोजक योगेश मेहता भी थे।