Income tax raid in Indore इंदौर । इंदौर की शराब उत्पादन से जुड़ी कंपनी ग्रेट गेलन वेंचर्स को आयकर विभाग ने भी कार्रवाई के दायरे में ले लिया है। दो दिन पहले इस कंपनी के साथ प्रदेश की अन्य शराब कंपनियों पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) की कार्रवाई हुई थी। सीसीआइ को कंपनी के दफ्तर की जांच में भारी नकदी मिली थी। इस पर आयोग ने आयकर विभाग को सूचना दे दी थी। सूचना के बाद आयकर विभाग भी जांच में शामिल हो गया। गुरुवार से आयकर ने जांच शुरू की थी। इस दौरान आय छुपाने के सुबूत और दस्तावेज विभाग के हाथ लगे तो आयकर ने जांच को सर्च में तब्दील कर दिया है।
ग्रेट गेलन कंपनी शराब निर्माण के लिए स्प्रिट का उत्पादन करती है। प्रदेश में बिक रही देशी शराब के उत्पादन में इस कंपनी द्वारा निर्मित स्प्रिट का बड़ा हिस्सा उपयोग होता है। कंपनी के कर्ताधर्ताओं में डीके राजा, रचना केडिया, विष्णु लक्ष्मण सावंत, सुरेश केजरीवाल और सुनित मढोक का नाम शामिल है। सूत्रों के मुताबिक सीसीआइ की टीमों के हाथ कंपनी के दफ्तर से करीब 4 करोड़ रुपये नकद मिले थे। इसके बाद आयकर को सूचना दी गई।
नकदी का हिसाब जांचने आयकर की टीमें पहुंची और अघोषित आय के सुबूत मिलने के बाद जांच को छापे में बदल दिया गया। आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक प्रारंभिक जांच में ही टैक्स चोरी और आय छुपाने के तमाम सुबूत हाथ लग चुके हैं। विभाग ने कंपनी के कारोबार और लेन-देन के हिसाब से जुड़े तमाम दस्तावेज जब्त किए हैं। इनमें इलेक्ट्रानिक रिकार्ड के साथ ही कुछ कच्ची पर्चियां और डायरियां भी बताई जा रही हैं।
शुक्रवार शाम तक भी आयकर की टीमें जांच में जुटी थी। उल्लेखनीय है कि व्यवसायिक लाभ लेने के लिए मोनोपोली करने और शराब निर्माण से लेकर वितरण तक के कामकाज में अन्य कंपनियों के ब्रांड को बाजार से गायब कर देने के आरोपों के बाद मप्र का शराब सिंडिकेट सीसीआइ के निशाने पर आया था। सिंडिकेट को प्रदेश की शराब नीति में मनमुताबिक हेर-फेर के लिए भी पहचाना जाता रहा है।
कुछ माह पहले ग्रेट गेलन वेंचर के धार जिले की फैक्ट्री पर भी जांच की थी। अनियमितता मिलने के बाद भी जांच ठंडे बस्ते में चली गई थी। सूत्रों के मुताबिक शराब सिंडिकेट के रसूख ने कई बड़े नौकरशाहों को भी नाराज कर रखा था।