
Indore News. 16 जनवरी को 438 वाहनों द्वारा रेड लाइट का उल्लंघन किया गया, जिससे आरएलवीडी सिस्टम में इन वाहनों के ई-चालान जारी हुए थे, ई-चालान पूर्व में डाक विभाग द्वारा तामिली किये जा रहे थे, परंतु तामीली का प्रतिशत कम था, इस वजह से रेड लाइट उल्लंघन करने वाले गैर जिम्मेदार वाहन चालकों द्वारा गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था एवं समन शुल्क राशि जमा नहीं कर रहे थे। इस प्रवृत्ति पर रोक लगे और वाहन चालक जिम्मेदारी से, सावधानी से वाहन चलाएं, लोगो को अपनी गलती का पता लगे और दंड भी मिले, इसलिए रेड लाइट उल्लंघन के नोटिस यातायात प्रबंधन पुलिस के अधिकारियों द्वारा उनके रजिस्टर्ड पते पर जाकर तामिल किये जा रहे है एवं मौके पर समन शुल्क वसूला जा रहा है ।
कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस जनता के लिए सुशासन का महत्वपूर्ण माध्यम – सीएम

हम ऐसा माहौल बनाएं कि अपराधी, माफिया नेस्तनाबूद हो जाएं।
हमने तय किया है कि 29 दिन कार्य करें और एक दिन उसकी समीक्षा करें।
जो अच्छा काम करते हैं मुझे और प्रदेश की जनता को खुशी होती है। गड़बड़ करना अक्षम्य अपराध है।
हमारा परफॉर्मेंस लोगों के कल्याण से संबंधित और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का माध्यम है– सीएम शिवराज

बेहोशी की हालत में अस्पताल में कराया गया भर्ती।
राज्य शासन ने राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों की पदस्थापना में बड़े बदलाव किए हैं गुरुवार शाम जारी तबादला सूची में 32 अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और उप पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी प्रभावित हुए हैं इंदौर में डीएसपी और एडिशनल एसपी ट्रैफिक के रूप में पदस्थ रह चुकी 1998 बैच के अधिकारी अंजना तिवारी को अतिरिक्त उपायुक्त यातायात के रूप में फिर इंदौर पदस्थ किया गया है आज जारी तबादला सूची में इंदौर में पदस्थ अतिरिक्त उपायुक्त और सहायक पुलिस आयुक्त स्तर के कई अफसरों के प्रभार में भी फेरबदल किया गया है इंदौर में सीएसपी और एसपी क्राइम रह चुके अमरेंद्र सिंह को अतिरिक्त उपायुक्त सूचना के पद पर पदस्थ किया गया है।

ग्राहक अब किसी भी दवा पर मौजूद क्यूआर कोड को मोबाइल से स्कैन कर इसकी हकीकत के बारे में आसानी से जान सकेंगे. नया नियम अगले साल 1 जनवरी, 2023 से लागू होगा. इस नए नियम को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है.
API में QR कोड लगाने के सरकार के फैसले के बाद अब असली और नकली दवाओं की पहचान में आसानी होगी. QR कोड में दवा की पूरी जानकारी होगी. बैंच नंबर, सॉल्ट, कीमत की जानकारी मिलेगी. मोबाइल से QR कोड स्कैन करने पर दवा की पूरी जानकारी मिलेगी. एपीआई में क्यूआर कोड लगाने से ये भी आसानी मालूम चल जाएगा कि कच्चा माल कहां से सप्लाई हुआ है, क्या दवा बनाने के फॉर्मूला से कोई छेड़छाड़ हुई है और दवाई की डिलीवरी कहां हो रही है.
बता दें कि एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स यानी API इंटरमीडिएट्स, टेबलेट्स, कैप्सूल्स और सिरप बनाने के मुख्य कच्चे माल होते हैं. ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (DTAB) ने जून 2019 में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. क्यूआर का मतलब क्विक रिस्पॉन्स होता है. इस कोड को तेजी से रीड करने के लिए बनाया गया है. यह बारकोड का अपग्रेड वर्जन है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत नकली दवाओं का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है. भारत में 25 फीसदी के करीब दवाइयां नकली है. रिपोर्ट के मुताबिक देश में 3 फीसदी दवाओं की क्वालिटी घटिया होती है. API के लिए अब भारतीय कंपनियां बहुत हद तक चीन पर निर्भर हैं. क्यूआर कोड की नकल करना नामुमकिन है, क्योंकि यह हरेक बैच नंबर के साथ बदलेगा. इससे देश को नकली दवाओं से पूरी तरह से मुक्ति मिलेगी.
