डिजिटल एड्रेसिंग सिस्टम वाला भारत का पहला शहर बनेगा इंदौर

sadbhawnapaati
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Indore News. डिजिटल एड्रेसिंग सिस्टम वाला भारत का पहला शहर इंदौर बनने जा रहा है। इसके लिए स्मार्ट सिटी कंपनी आज महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। स्मार्ट सिटी सीईओ ऋषभ गुप्ता द्वारा पता नेवीगेशन के साथ दोपहर 2,15 बजे एमओयू साइन किया जाएगा। स्मार्ट सीड इनक्यूबेशन सेंटर सिटी बस ऑफिस कैंपस में यह एमओयू साइन होगा।

एमओयू के तहत सभी सरकारी विभाग आपातकालीन सेवाएं जैसे एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, पुलिस, इस ऐप का इस्तेमाल करेंगे। बैंकिंग जियोटैगिंग के साथ ई-केवाईसी आदि सुविधाओं में इसी एड्रेस ऐप का उपयोग होगा।

सभी विभागों में भी पता इंटीग्रेट होगा। पता नेविगेशन ऐप में एक पेटेंटेड एडवांस्ड तकनीक विकसित की है। देश के लिए एक डिजिटल एड्रेसिंग सिस्टम बनाने के लिए इसरो के साथ भागीदारी की गई है।

पता ऐप दरअसल एक छोटा और अनूठा कोड है। जैसे कुमार 100 और सिंग 221 या इस जैसा पसंदीदा कोड रहेगा। इससे आपकी जिओ टेकिंग लोकेशन पर पहुंचा जा सकेगा।

इस ऐप पर आप पूरा टेक्स्ट एड्रेस, प्रॉपर्टी की तस्वीरें, लैंडमार्क इत्यादि डाल सकते हैं। साथ ही डॉयरेक्शन को रिकॉर्ड कर सकते हैं। इससे एड्रेस बताने के लिए बार-बार कॉल करने की समस्या दूर हो जाएगी और विजिटर आसानी से पता ढूंढ सकेंगे।

इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि भविष्य में अपना लंबा और जटिल पता शेयर करने के बजाय, आप बस एक छोटा कोड साझा कर सकेंगे। पता नेविगेशन के रजत जैन एवं उनकी टीम को उम्मीद है कि इंदौर के लोग अपने नंबर वन होने का जज्बा कायम रखेंगे और इंदौर, नंबर वन डिजिटल एड्रेस सिटी रेवोल्यूशन का हिस्सा बनेंगे।

रहेगा मुफ्त
पता ऐप एक मुफ्त प्लेटफार्म है। इसे पार्सल डिलीवरी करने वाली कंपनियां इस्तेमाल कर सही लोकेशन पर पहुंचेंगी। ई-कॉमर्स के लिए अंतिम मील तक की पहुंच पता द्वारा संभव होगी और ईंधन की कम खपत का फायदा, डिलीवरी वालों को मिलेगा एवं इंदौर शहर के प्रदूषण स्तर को कम करने में यह ऐप एक अहम् भूमिका निभाएगा। पता ड्रोन डिलीवरी के लिए भी काम करेगा।

हर साल होता है 75 हजार करोड़ का नुकसान
रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में भारत हर साल अपने एड्रेसिंग सिस्टम की वजह से 75 हजार करोड़ रुपए का नुकसान उठाता है। इस नुकसान को कम करने और एड्रेसिंग सिस्टम को व्यवस्थित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में, पता नेविगेशन ने हाल ही में देश के लिए एक शक्तिशाली डिजिटल एड्रेसिंग सिस्टम बनाने के लिए इसरो के साथ भागीदारी की है।

आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की और यह एक शक्तिशाली कदम है। यह गठबंधन ग्रामीण आबादी को ऋण, बीज, तकनीकी सुविधाएं आदि उपलब्ध कराकर ग्रामीण भारत को लाभ पहुंचाएगा।

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