डॉ. अंबेडकर और मुख्य न्यायाधीश का अपमान बर्दाश्त नहीं!
इंदौर संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर जी और देश की न्यायपालिका के सर्वोच्च पद पर बैठे माननीय मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़/न्यायमूर्ति बी.आर. गवई के अपमान के विरोध में एक जोरदार प्रदर्शन किया गया। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व बहुजन समाज ने किया।
यह प्रदर्शन ग्वालियर हाई कोर्ट के अधिवक्ता अनिल मिश्रा द्वारा डॉ. अंबेडकर के विरुद्ध की गई अपमानजनक टिप्पणी और अधिवक्ता राकेश किशौन द्वारा माननीय मुख्य न्यायाधीश (CJI) के विरुद्ध किए गए आपत्तिजनक आचरण के विरोध में किया गया।
प्रदर्शनकारियों ने सबसे पहले इंदौर भिचौली हप्सी रौड जीआरपी लाइन चौराहे पर दोनों अधिवक्ताओं के पुतले फूंके और न्याय विरोधी ताकतों के खिलाफ नारे लगाए। इसके बाद, समूह ने इंदौर पलासिया पुलिस आयुक्त कार्यालय पहुँचकर एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा।
[बहुजन समाज सेवी बन्ना मालवीय अंबेडकर] ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हम किसी भी कीमत पर संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर जी का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। डॉ. अंबेडकर सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि हमारे संविधान और देश की गरिमा के प्रतीक हैं। इसी तरह, देश के मुख्य न्यायाधीश का अपमान पूरे न्याय तंत्र का अपमान है।”
प्रतिनिधि ने आगे कहा, “हमने पुलिस प्रशासन से मांग की है कि इन दोनों अधिवक्ताओं के खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत तत्काल FIR दर्ज की जाए और कानूनी कार्यवाही की जाए। जो लोग न्याय के मंदिर में खड़े होकर न्याय के स्तंभों को अपमानित करते हैं, उनका अधिवक्ता के रूप में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
यह विरोध प्रदर्शन संविधान और न्यायपालिका की गरिमा को बनाए रखने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यदि प्रशासन ने शीघ्र ही कठोर कार्रवाई नहीं की, तो हमारा विरोध और व्यापक उग्र होगा। भारत बंद भी कर सकते हैं
तमाम साथियों द्वारा ज्ञापन में अपनी भूमिका निभाई एवं उन्होंने मांग भी करी जिसमें विशेष दीपक पंचोली, डमरू मालवीय पहलवान, डा रामप्रसाद सोलंकी जी, राहुल मालवीय, संतोष बिल्लोरिया, सुरेश सोलंकी जी, राकेश चौहान, रोहित मालवीय, विष्णु दतौदिया, दीपक सोलंकी, मनोज मालवीय, माखन गवलिया, डॉ सुशील मालवीय, सोनू परमार, धर्मेंद्र मालवीय, दशरत जाटव, नरेंद्र पवार,जीवन परमार,सजीत पठान,राज पचौली देवेंद्र सौलकी, ललित देवड़ा,अनील मालवीय एवं अन्य साथियों द्वारा नीचे लिखी हुई तमाम मांगों को लेकर ज्ञापन दिया जैसे –
“यह केवल अपमान नहीं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों पर हमला है।”
“हम माँग करते हैं कि पुलिस तत्काल FIR दर्ज करे और बार काउंसिल इन दोनों अधिवक्ताओं का लाइसेंस रद्द करे।”
“हमारा प्रदर्शन संविधान और न्यायपालिका के सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए है। यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक न्याय नहीं मिल जाता।”