नई पीढ़ी को जानना बनुत जरुरी है ,आखिर क्यों आता है खरमास, जानिए पौराणिक कथा

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sadbhawnapaati
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आप सभी जानते ही होंगे खरमास 16 दिसंबर के आसपास सूर्य देव के धनु राशि में संक्रमण से शुरू होता है और 14 जनवरी को मकर राशि में संक्रमण न होने तक रहता है। ठीक ऐसे ही 14 मार्च के आसपास सूर्य, मीन राशि में संक्रमित होते हैं और इस दौरान लगभग सभी मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं। अब आज हम आपको पौराणिक ग्रंथों के अनुसार खरमास की कहानी बताने जा रहे हैं जो आपको जरूर जाननी चाहिए। आइए बताते हैं।

पौराणिक कथा- भगवान सूर्य देव 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं। उनको कहीं पर भी रुकने की मनाही है क्योंकि उनके रुकते ही जनजीवन ठहर जाएगा। ऐसे में जो घोड़े उनके रथ में जुते हैं, वे लगातार चलने व विश्राम न मिलने के कारण भूख-प्यास से बहुत थक जाते हैं। उनकी इसी दयनीय दशा को देखते हुए सूर्य देव का मन भी द्रवित हो गया। भगवान सूर्य देव उन्हें एक तालाब किनारे ले गए लेकिन उन्हें तभी यह भी आभास हुआ कि अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा।

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लेकिन घोड़ों का सौभाग्य कहिए कि तालाब के किनारे दो खर मौजूद थे। अब भगवान सूर्य देव घोड़ों को पानी पीने व विश्राम देने के लिए छोड़ देते हैं और खर यानी गधों को अपने रथ में जोड़ लेते हैं। वैसे है सभी यह जानते हैं कि घोड़ा तो घोड़ा होता है और गधा, गधा। गधों को जोड़ने से रथ की गति धीमी हो जाती है फिर भी जैसे-तैसे 1 महीने का चक्र पूरा हो जाता है। उस दौरान घोड़ों को भी विश्राम मिल चुका होता है। ठीक ऐसे ही हमेशा यह क्रम चलता रहता है और हर सौरवर्ष में 1 सौरमास ‘खरमास’ कहलाता है।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।
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