पत्रकारिता में निष्पक्षता, कर्तव्य निर्वहन और दायित्व का पालन करना होता है
इन्दौर। टेलीविजन की दुनिया के चर्चित पत्रकार सईद अंसारी ने कहा है कि समाचार के पीछे का सत्य सामने लाना ही पत्रकारिता है। पत्रकारिता में निष्पक्षता, कर्तव्य निर्वहन और दायित्व का पालन करना होता है। वे यहां अभ्यास मंडल के द्वारा आयोजित मासिक व्याख्यान दे रहे थे। वे पत्रकारिता क्या है विषय पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हम इन्दौर की माटी के संस्कार की ध्वजा को दिल्ली में लहरा रहे है। सूचना का आदान-प्रदान करना , ज्ञान अर्जित करना या ज्ञान वर्धन करना पत्रकारिता नहीं है। पत्रकारिता तो देश प्रेम है, राष्ट्र भक्ति है। पत्रकार के ऊपर अपने कर्तव्य के निर्वहन और दायित्व निभाने की जिम्मेदारी होती है। उसके लिए निष्पक्ष और ईमानदार होना जरूरी है। पहले के समय मे हिन्दी फिल्मो मे एक गरीब परिवार मे एक कमाऊ पूत होता था। उस पर बहुत सी जिम्मेदारी होती थी। यह कमाऊ पूत अब फिल्मों से गायब हो गया। आज की पीढ़ी इस कमाऊ पूत से वाकिफ नहीं है। आज के पत्रकार का परिवार पूरा देश है। पत्रकार को बहुत शक्तिशाली माना जाता है। उसके पास धन , शासन की शक्ति नहीं बल्कि अपनी कलम की शक्ति होती है।
उन्होने कहा कि एक समय ऐसा था जब कोई व्यक्ति कहता कि उसे पत्रकार बनना है तो उसके माता-पिता कहते थे कि भूखे मरेगा। एक पत्रकार के सामने कई बार प्रलोभन के अवसर आते हैं। जो ऐसे अवसर को ठुकरा देता है, वही पत्रकार होता है। पत्रकारिता में निष्पक्षता होना बहुत जरूरी है। जो लोग पत्रकारिता को प्रोफेशन समझकर आ रहे हैं वे लोग नहीं आए। इसे मिशन समझ कर आने वाले लोग ही आगे आएं। समाज के शोषित पीड़ित और कमजोर वर्ग की आवाज बनना ही पत्रकारिता है। एक पत्रकार का जीवन जितना सुखमय दिखता है उससे हकीकत बिल्कुल उलट है। समाचार के पीछे का सत्य सामने लाना ही पत्रकारिता है। यदि हम वह नहीं करते हैं तो पत्रकार नहीं है। एक पत्रकार को तेज धार वाली तलवार का पुल नंगे पैर पार करना होता है। इसे वही पार कर सकता है जो निष्पक्ष होता है। जो अपने कर्तव्य को समझता है, जिसे अपना दायित्व मालूम होता है। पत्रकारिता आग का दरिया होती है जिसमें से निकलकर जाना होता है। ऐसे बहुत से समाचार सामने आए हैं जिसमें पत्रकारों के द्वारा उजागर की गई हकीकत के कारण देश का लाखों करोड़ों रुपया बचा है। पिछले दिनों देश में जो कोरोना की महामारी आई थी उसके कारण हमने बहुत से पत्रकार भी खोए हैं। कार्यक्रम में विषय प्रवर्तन करते हुए देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला की विभागाध्यक्ष डॉ सोनाली नरगुंदे ने कहा कि एक समय था जब एक पत्र का मूल्य एक अंग्रेज का सिर था। उस समय पत्रकारिता मिशन के रूप में चल रही थी। आज हम विरोधाभास के बीच जी रहे हैं। हमने सूचना को पत्रकारिता समझ लिया है। इस समय देश में उत्कृष्ट समय है। वर्ष 1990 के बाद पत्रकारिता का स्तर नीचे की ओर गया है। हमने इसे उत्पाद बना दिया है। पाठकों ने भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना बंद कर दिया। समाज ने भी उस बारे में सोचना बंद कर दिया। चिंतन की इस पूरी प्रक्रिया को समाज ने रोक दिया। इस समय देश में राजनीतिक स्थिरता है लेकिन बौद्धिक अस्थिरता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इन्दौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता के मानक को समझने के लिए हमें अपने अग्रज पत्रकारों के विचारों को सुनना समझना और अपनाना चाहिए। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत रामेश्वर गुप्ता, कुणाल भंवर, मनीषा गौर, वैशाली खरे, किशन सोमानी, गोविंद सिंह बेस ने किया। अतिथि को स्मृति चिन्ह वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कर्णिक ने भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन माला सिंह ठाकुर ने किया और अंत में आभार प्रदर्शन अशोक कोठारी ने किया।