आचार्य इंजी.अखिलेश जैन “अखिल”
वृक्ष नहीं ये,
युग का हुआ अवसान,
पीपल था,
वृक्षों में कृष्ण समान,
दिया आजीवन
जिसने ओषजन,
और आशीष अखंड
अनंत प्रदान,
काटा जिसने,
होगा कुल अकिंचन,
भोगेगा नर्क अनाम,
न मिले योनि मनु
अकाट्य ऐसा प्रमाण,
प्रार्थना हम सब की,
अखिल पुनर्जीवित हो,
धरोहर है ये जग की,
अश्वत्थ ये पाए पुनः
लहलहाता सम्मान…