तुलसी माता की सेवा में रखें ये 5 बातों का ध्यान,होंगे आपके सभी काम

sadbhawnapaati
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.अधिकतर घरों में तुलसी को पौधा होता है। तुलसी पौधे की देखरेख बहुत ही सावधानी से करना होती है अन्यथा यह पौधा जल्दी ही मुरझाकर खत्म हो जाता है। इसकी देखरेख या सेवा करने के कुछ नियम है उन्हीं में से 5 नियमों को जान लें। इन नियमों का पालन करने से जहां विष्णु, लक्ष्मी प्रसन्न होंगे वहीं सभी देवी और देवता भी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देंगे।

1. प्रथम सेवा : तुलसी की जड़ों में रविवार और एकादशी को छोड़कर प्रतिदिन उचित मात्रा में जल अर्पण करना चाहिए। अर्थात ना कम और ना ज्यादा। यदि ज्यादा मात्रा में जल अर्पण किया तो पौधा समाप्त हो जाएगा और कम मात्रा में भी। कम फिर भी चल जाएगा परंतु ज्यादा नहीं। वैसे यदि एक दिन छोड़कर भी आप पानी अर्पण करेंगे तो चलेगा। बारिश में तो सप्ताह में दो बार ही डालें। रविवार और एकादशी के दिन तुलसी महारानी ठाकुरजी के लिए व्रत रखती है। वह केवल इन्हीं दो दिनों विश्राम करती और निंद्रा लेती हैं।

2.द्वितीय सेवा : समय समय पर तुलसी की मंजरियों को तोड़कर तुलसी से अलग करते रहें अन्यथा तुलसी बीमार होकर सूख जाएगी। कहते हैं कि जब तक यह मंजरियां तुलसी माता के शीश पर रहती है तब तक वह घोर कष्ट में रहती है। तुलसी पत्ता, दल या मंजरी तोड़ने से पहले तुलसी जी की आज्ञा लेना जरूरी है। रविवार और एकादशी को यह कार्य नहीं करना चाहिए। नाखूनों से तुलसी को नहीं तोड़ना चाहिए।

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3. तीसरी सेवा : वह महिलाएं तुलसी माता से दूर रहें जिन्हें पीरियड चल रहे हैं। यदि वे तुलसी के आसपास भी होंगी तो तुलसी मुरझाकर मर जाएगी। अत: इस बात का विशेष ध्यान रखें।

4. चौथी सेवा : तुलसी माता के आसपास वस्त्रों को ना सुखाएं। गीले वस्त्रों के आसपास से साबुन की गंध और सफेद किस्म के कीड़े या बैक्टीरिया रहते हैं जिनके कारण तुलसी को भी कीड़े लग सकते हैं। ऐसा अक्सर देखा गया है कि कपड़ों के कारण तुलसी में कीड़े लगे और वह सड़कर, काली पड़कर खत्म हो गई।

5. पांचवां सेवा : तुलसी के पौधे को मौसम की मार से भी बचा कर रखना चाहिए। ज्यादा ठंड या गर्मी से तुलसी समाप्त हो जाती है। इसलिए ठंड में तुलसी माता के आसपास कपड़े या कांच का कवर लगाया जा सकता है। तेज बारिश से भी तुलसी को बचाकर रखें।

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