(लेखक-सिद्धार्थ शंकर)
केंद्र सरकार खालिस्तानी नेटवर्क और ड्रग ट्रैफिकिंग मॉड्यूल के खिलाफ ऐक्शन लेने की तैयारी में है। गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और अन्य जांच एजेंसी को दिल्ली से सटे 5 राज्यों में खालिस्तानी नेटवर्क को खत्म करने के निर्देश दिए हैं।
गृह मंत्रालय ने यह फैसला एनआईए, ईडी, आईबी और रॉ के साथ हुई अहम बैठक के बाद लिया है। बैठक में दिल्ली पुलिस समेत पांच राज्यों की पुलिस मौजूद थी। जांच एजेंसी खालिस्तानी एक्टिविटी पर नजर रखेगी और उनके ऊपर केस दर्ज करेगी।
दरअसल, कुछ महीने दिल्ली और आसपास के राज्यों में विस्फोटक बरामद हुए थे। ईडी और आईबी को आशंका है कि उनके पीछे आईएसआई और पाकिस्तान में मौजूद खालिस्तानी संगठनों का हाथ है।
जांच एजेंसी के मुताबिक ये संगठन देश में बड़े हमले को अंजाम देना चाहते हैं। उसके लिए इन संगठनों को विदेशों से फंडिंग हो रही। एनआईए इसकी भी जांच करेगी कि इन संगठनों को विदेशी फंडिंग कहां से आ रही है।
केंद्र सरकार ने 5 खालिस्तानी संगठन को अपना टारगेट बनाया है। इनमें खालिस्तानी लिबरेशन फ्रंट, बब्बर खालसा इंटरनेशनल, सिख यूथ फेडरेशन, सिख फॉर जस्टिस और खालिस्तान टाइगर फोर्स आदि संगठन शामिल हैं। इन संगठनों पर केस दर्ज करने के लिए केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है।
इसके चलते खालिस्तानी संगठनों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। नोटिफिकेशन के मुताबिक एनआईए ड्रोन के जरिये हथियार, आईईडी, विस्फोटक भेजने पर खालिस्तानी गैंग और उससे जुड़े संगठनों पर नजर रखेगी।
खालिस्तानी नेटवर्क पर सरकार का सख्त रवैया बिल्कुल सही है। भारत ने करीब डेढ़ दशक तक पंजाब के आतंकवाद को झेला है और इसकी भारी कीमत चुकाई है। हजारों निर्दोष भारतीय नागरिक आतंकवादियों की हिंसा का शिकार हुए।
अब इस दौर में खालिस्तान की मांग करने वालों की आवाज उस देश से आई है जो आतंकवाद के खात्मे में हर तरह से भारत के साथ होने का दावा करता रहा है और खुद भी इसके खतरों से दो-चार रहा है।
सिख फॉर जस्टिस यूरोप के कई देशों में सक्रिय है। अमेरिका और कनाडा में इसके तार हैं। भारत को उन देशों की सरकारों पर भी दबाव बनाना होगा जहां खालिस्तान के नाम पर आज भी गतिविधियां जारी हैं।
लंदन में खालिस्तान समर्थकों की रैली को लेकर सवाल तो उठता ही है कि ब्रिटेन की सरकार ने यह जानते हुए भी कि खालिस्तान की मांग भारत की एकता-अखंडता पर हमला है, इस रैली के लिए इजाजत दी!
पंजाब के साथ पूरे देश ने खालिस्तान का खौफनाक और जानलेवा दौर देखा है। पंजाब के शहरों की तंग गलियों से खाड़कुओं को, नंगी तलवारें और रिवाल्वर, बंदूक के साथ, भागते देखा है।
उस समय जांबाज पुलिस अफसर केपीएस गिल के नेतृत्व में पंजाब पुलिस ने ही खालिस्तान आंदोलन की कमर तोड़ने का बड़ा काम किया था। भिंडरावाला सरीखे आतंकी को ढेर कर दिया था। खालिस्तान आंदोलन ने इस देश को कई गहरे घाव दिए हैं।
खालिस्तान आंदोलन ने ही देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्याएं की थीं। लिहाजा अब कोई भी सोच या साजिश हो, हम खालिस्तान को करवट लेते नहीं देख सकते।
खालिस्तान आंदोलन ने पंजाब को बहुत नुकसान पहुंचाया है। पंजाब का आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक ढांचा खालिस्तान आंदोलन ने छिन्न-भिन्न करने का काम किया था।