भोपाल में अखबार के कागज में खाना परोसा तो होगी कानूनी कार्रवाई

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भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया के निर्देश पर ईट राइट चैलेंज-2 के तहत खाद्या सुरक्षा प्रशासन ने दो नवाचार कार्यक्रम की शुरुआत की है। इसके अंतर्गत अखबार या कागज में समोसे या पोहा परोसने पर रोक लगा दी गई है। इस संबंध में भोपाल कलेक्टर ने आदेश जारी किए हैं। अगर इसका पालन नहीं किया गया तो दुकानदार पर दो लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

कलेक्टर कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार फिलहाल जागरूकता के लिए शहर में अभियान शुरू किया जाएगा। होटल में पैम्प्लेट लगाए जाएंगे तथा विक्रेताओं से इसके लिए शपथ-पत्र भी लिया जाएगा।

कागज पर नाश्ता या खाद्य पदार्थों को परोसने से होने वाले नुकसान को लेकर एफएसएसएआई ने आदेश जारी किया था। अब इसके क्रियान्वयन के लिए जिला प्रशासन भी अभियान चला रहा है। कलेक्टर ने इस अभियान को ‘अखबार में खाने को बोलिए ना’ कैम्पेन के तौर लॉन्च किया है।

अभियान के तहत लोगों को समझाया जाएगा कि अखबार या कागज पर कुछ खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। मीडिया से बातचीत में खाद्य सुरक्षा अधिकारी देवेंद्र दुबे ने बताया कि अखबार छापने में इस्तेमाल होने वाली स्याही में लेड समेत अन्य खतरनाक रसायन होते हैं। तेल या खाने के संपर्क में आने पर यह रसायन उनके जरिये पेट में जाकर नुकसान पहुंचाते हैं।

सेहत के लिए एक गंभीर खतरा पेश करते हैं। 2016 में ही खाद्य सामग्री की पैकेजिंग के लिए अखबार के कागज के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई थी। नियमों के तहत खाद्य अमला सीधे तौर पर कोई जुर्माना नहीं कर सकेगा। हालांकि, एडीएम को अधिकार रहेगा कि वह संबंधित दुकानदार पर दो लाख रुपए तक का जुर्माना लगाएं।

हॉस्टल के खाने पर लेंगे स्टूडेंट का फीडबैक 
इसके अलावा भोपाल में शासकीय/ अशासकीय हॉस्टल मेस का निरीक्षण कर बनाए जा रहे भोजन से जुड़ी शिकायतों को दूर करने की व्यवस्था बनाई जाएगी। हॉस्टल में शिकायत बॉक्स रखवाया जाएगा।

इससे छात्र-छात्राओं को निर्भीक होकर शिकायत या खाने पर अपना फीड बैक देने के लिए प्रेरित किया जाएगा। साथ ही छात्र-छात्राओं के खानपान की आदतों में सुधार के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।
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