विधि का विधान होकर रहता है, जानें कुछ बातें

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sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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श्री राम का विवाह और राज्याभिषेक दोनों शुभ मुहूर्त देख कर किया गया। फिर भी न वैवाहिक जीवन सफल हुआ न राज्याभिषेक।

जब मुनि वशिष्ठ से इसका जवाब माँगा गया तो उन्होंने साफ कह दिया,
“सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेहूं मुनिनाथ।
लाभ हानि, जीवन मरण, यश अपयश विधि हाथ।।”

अर्थात जो विधि ने निर्धारित किया है वही होकर रहेगा।
न राम के जीवन को बदला जा सका, न कृष्ण के, न ही शिव सती की मृत्यु को टाल सके, जबकि महामृत्युंजय मंत्र उन्ही का आह्वान करता है।

न गुरु अर्जुन देव जी और न ही गुरु तेग बहादुर साहिब जी और दश्मेश पिता गुरू गोबिन्द सिंह जी  अपने साथ होने वाले विधि के विधान को टाल सके जबकि आप सरब समर्थ थे ।

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रामकृष्ण परमहंस भी अपने कैंसर को न टाल सके ।

न रावण अपने जीवन को बदल पाया न कंस। जबकि दोनों के पास समस्त शक्तियाँ थी।

मानव अपने जन्म के साथ ही जीवन-मरण, यश-अपयश, लाभ-हानि, स्वास्थ्य-बीमारी, देह रंग, परिवार-समाज, देश-स्थान, सब पहले से ही निर्धारित कर के आता है। साथ ही साथ अपने विशेष गुण धर्म, स्वभाव और संस्कार सब पूर्व से लेकर आता है।

इसलिए यदि अपने जीवन मे परिवर्तन चाहते हैं, तो अपने कर्म बदलें। आप की सहायता के लिए स्वयं परमात्मा खड़े हैं।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।