जीवन की कश्ती

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sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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 डॉ. दिलीप वागेला

इंसान को चढ़ गई है ऐसी मस्ती,
मिटाने पर तुला है पेड़ों की हस्ती।
जान की कीमत हो गई सस्ती,
कैसे पार होगी जीवन की कश्ती।।

हरियाली को काटकर बसा रहा शहर,
भूल गया है त्याग प्रकृति का हर प्रहर।
पानी, हवा, मिट्टी सब पर ढा रहा कहर,
जीवन की धारा में भी घुल रहा जहर।

पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ,
प्रकृति की रक्षा के लिए सब साथ आओ।
हर एक कदम पर सोचो, ध्यान धरो,
जीवन की कश्ती मिल-जुलकर पार लगाओ।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।