लाउडस्पीकर विवाद 

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लेखक-सिद्धार्थ शंकर
महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा और लाउडस्पीकर विवाद थमता नहीं दिख रहा है। सत्ता पक्ष और विपक्षी नेताओं के बीच लगातार जुबानी जंग जारी है। मामले को अधिक तूल पकड़ता देख महाराष्ट्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई, मगर भाजपा और मनसे ने इससे दूरी बनाए रखी। इस बैठक से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी दूरी बना ली।
अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा की गिरफ्तारी मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे पर बड़ा हमला बोला है। फडणवीस ने राणा दंपती की गिरफ्तारी को गलत ठहराया है। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया।
वहीं भाजपा नेता किरीट सोमैया पर हमले का मामला अब दिल्ली पहुंच चुका है। इस मामले में अब भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली जाकर गृह सचिव से मुलाकात की है। प्रतिनिधिमंडल के सभी सदस्यों ने राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर ज्ञापन सौंपा है साथ ही किरीट सोमैया मामले को भी उठाया।
महाराष्ट्र में अचानक से बदले राजनीतिक घटनाक्रम को देखें तो यह बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रहा है। उद्धव सरकार जाएगी या बचेगी, सवाल यह नहीं है। भाजपा जिस तरह से एक के बाद एक घटनाक्रम को अंजाम दे रही है, उसके सियासी मायने बेहद महत्वपूर्ण हैं। राज ठाकरे की लाउडस्पीकर हटाने की मांग, नवनीत राणा की मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा के पाठ का ऐलान, करीट सोमैया पर हमला यह सब अचानक नहीं है।
महाराष्ट्र में राजनीतिक हवाएं बड़ी तेजी से बदल रही हैं। इन हवाओं की चपेट में सत्ताधारी दल शिवसेना तो है ही, साथ में महाविकास अघाड़ी को अस्थिर करने का भी पूरा रोड मैप तैयार कर लिया गया है। महाराष्ट्र में आक्रामक रवैये वाली शिवसेना को अपने अहम मुद्दों पर कमजोर पड़ती धार से उसका न सिर्फ नुकसान हो रहा है, बल्कि वह अपने धुर विरोधी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के राज ठाकरे को आगे बढ़ने का मौका भी दे रहे हैं।
फिलहाल महाराष्ट्र में बनते बिगड़ते तमाम हालातों को लेकर भाजपा के नेता जिस तरीके से केंद्रीय गृह सचिव से मिले हैं, उससे अगले कुछ दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में कई तरह के तूफान आने की आशंका बनी हुई है। शिवसेना जब से अपने नए गठबंधन के साथ सरकार में आई है, तब से उसके कड़क हिंदुत्व वाले मिजाज में न सिर्फ कमी आई है, बल्कि गठबंधन की मजबूरी से सरकार चलाने की स्थितियां स्पष्ट देखी जा रही हैं। जिस तरीके से कड़क हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसेना आगे आती थी, वही अब उस पर बैकफुट पर है।
इसी कमी को पूरा करने के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के राज ठाकरे बढ़-चढ़कर आगे आए हैं। राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना सड़कों पर हनुमान चालीसा के पाठ के बाद से हिंदुत्व की धुरी बनने की पूरी योजना बना रही है। शिवसेना की गठबंधन में होने की मजबूरी के चलते राज ठाकरे को इससे फायदा भी मिल सकता है। हालांकि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के उग्र हिंदुत्व की धुरी से राज ठाकरे को चुनाव में कितना फायदा होगा, इसके बारे में अभी कहना बहुत जल्दी होगा। लेकिन उनका कहना है कि शिवसेना आरोप लगा रही है कि राज ठाकरे के माध्यम से भाजपा अपने हित साधने की कोशिश कर रही है।
इस पूरे मामले में एक तरीके से महाराष्ट्र में हाशिए पर पड़ी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को एक बड़ा मुद्दा मिल गया है। जिस मुद्दे पर शिवसेना कभी राज्य में सबसे आगे हुआ करती थी, अब उसी पर एक बार फिर से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना आगे बढ़ने की तैयारी कर रही है।
कभी हिंदुत्व और यूपी-बिहार के लोगों का मुद्दा बनाकर सड़कों पर उतरने वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना विधानसभा में 13 विधायकों के साथ बड़ा प्रतिनिधित्व करती थी, लेकिन अब ये मुद्दे उतने प्रभावी नहीं रहे, तो महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना एक विधायक के साथ विधानसभा में सिमट कर रह गई। महाराष्ट्र के राजनीतिक मामलों के जानकारों का कहना है कि राज ठाकरे को इस बात का बखूबी अंदाजा हो गया कि कड़क हिंदुत्व के मामले में शिवसेना पीछे हट रही है। बस इसी मुद्दे को राज ठाकरे ने पकड़ लिया।
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