हिंदू पंचांग के अनुसार शिवरात्रि के दिन बेहद खास माना जाता है। इस दिन भक्त भोलेनाथ की पूजा और व्रत करते हैं। हर साल यह पर्व फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस बार महाशिवरात्रि पर शिव योग के साथ घनिष्ठा नक्षत्र होगा और चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे। महाशिवरात्रि पर्व में रात्रि की प्रधानता रहती है। इस कारण 11 मार्च को महाशिवरात्रि पर्व मनाना शास्त्र सम्मत होगा। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन सुबह 09 बजकर 22 मिनट तक महान कल्याणकारी ‘शिवयोग’ रहेगा। उसके बाद सभी कार्यों में सिद्धि दिलाने वाला ‘सिद्धयोग’ आरम्भ हो जाएगा।
[expander_maker id=”1″ more=”आगे पढ़े ” less=”Read less”]चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 11 मार्च को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 12 मार्च को दोपहर 3 बजे बजकर कर 2 मिनट तक रहेगी। महाशिवरात्रि का निशीथ काल 11 मार्च को रात 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।
शिवपुराण के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा जाता है। दरअसल महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि की रात आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं।महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल के दौरान ही महादेव और पार्वती की पूजा की जानी चाहिए तभी इसका फल मिलता है। इस दिन का प्रत्येक घड़ी-पहर परम शुभ रहता है। कुवांरी कन्याओं को इस दिन व्रत करने से मनोनुकूल पति की प्राप्ति होती है और विवाहित स्त्रियों का वैधव्य दोष भी नष्ट हो जाता है।
शिव पूजा से निम्न दोषों से मिल सकती है मुक्ति
महाशिवरात्रि में शिवलिंग की पूजा करने से जन्मकुंडली के नवग्रह दोष तो शांत होते हैं विशेष करके चंद्र्जनित दोष जैसे मानसिक अशान्ति, माँ के सुख और स्वास्थ्य में कमी, मित्रों से संबंध, मकान-वाहन के सुख में विलम्ब, हृदयरोग, नेत्र विकार, चर्म-कुष्ट रोग, नजला-जुकाम, स्वांस रोग, कफ-निमोनिया संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है और समाज में मान प्रतिष्ठा बढती है। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से व्यापार में उन्नति और सामाजिक प्रतिष्ठा बढती है। कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि भांग अर्पण से घर की अशांति, प्रेत बाधा तथा चिंता दूर होती है। मंदार पुष्प से नेत्र और ह्रदय विकार दूर रहते हैं। शिवलिंग पर धतूर के पुष्प-फल चढ़ाने से दवाओं के रिएक्शन तथा विषैले जीवों से खतरा समाप्त हो जाता है। शमीपत्र चढ़ाने से शनि की शाढ़ेसाती, मारकेश तथा अशुभ ग्रह-गोचर से हानि नहीं होती।[/expander_maker]

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