Mp News. मध्यप्रदेश में स्कूलों की मनमानी कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब इसका विरोध करने पर जिम्मेदार अभिभावकों की समस्या सुलझाने के बजाए उन्हें मरने की सलाह देने लगे हैं। मप्र में पिछले कई सालों से फीस नियामक कानून भले ही ठीक ढंग से लागू नहीं हो पाया है, फिर भी सरकार को अभिभावकों की बजाय स्कूलों की चिंता है। मंगलवार को जब स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से अभिभावकों ने स्कूलों की मनमानी की शिकायत की तो उन्होंने अभिभावकों से कहा कि मरना है तो मर जाइए।
पालक संघ के सदस्य उनसे शिकायत कर रहे थे कि स्कूल बंद होने के बाद भी एक अप्रैल से ऑनलाइन क्लास की फीस वसूल रहे हैं। फीस कम की जाए, नहीं तो आंदोलन करेंगे। इस पर उखड़े मंत्री ने यह बातें कहकर कार में बैठकर चले गए।
इसके बाद मंत्री और पालक संघ के सदस्यों के बीच गरमागरम बहस हो गई। मंत्री परमार ने कहा कि ज्यादा नेतागिरी मत करो। मंत्री ने लोगों से बातचीत की वीडियो रिकॉर्डिंग बंद करने के लिए भी कहा। मंगलवार दोपहर पालक संघ के सदस्य स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से मिलने उनके श्यामला हिल्स स्थित सरकारी बंगले पर पहुंचे थे।
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कार से उतरकर आए और फिर हुई बहस
मंत्री और पालक संघ के सदस्यों के बीच बातचीत चल ही रही थी। मंत्री बात सुनने को तैयार नहीं हुए तो एक सदस्य ने कहा कि क्या मर जाएं, तो मंत्री ने कार का दरवाजा खोलते हुए कहा कि मर जाओ। उसके बाद दोनों पक्षों के बीच जमकर बहसबाजी होने लगी।
पालक महासंघ मध्य प्रदेश के अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा ने बताया कि वे शिक्षा मंत्री से नो स्कूल नो फीस, ऑनलाइन क्लास के नाम पर मनमानी फीस न ली जाए, प्राइवेट स्कूल की मनमानी पर रोक लगाने की मांग करने गए थे। वे उनके सामने एक-एक कर अपनी बातों को रख रहे थे, इसी दौरान मंत्री ने ये बातें कही।
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