कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी अब महापौर के लिए किसी नए और युवा चेहरे पर दांव लगाने जा रही है. माना जा रहा था कि कांग्रेस विधायक और मेयर प्रत्याशी संजय शुक्ला को बीजेपी की ओर से रमेश मेंदोला ही कड़ी टक्कर दे सकते हैं. कांग्रेस के ब्राह्मण चेहरे के जवाब में बीजेपी के पास भी रमेश मेंदोला जैसा बड़ा चेहरा था. वो हर तरह से चुनाव के लिए उपयुक्त उम्मीदवार थे. लेकिन पार्टी से उन्हें एक बार फिर मायूसी ही हाथ लगी.
हर बार निराशा हाथ
वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा बताते है कि मंत्रिमंडल में शामिल न करने के बाद माना जा रहा था कि पार्टी रमेश मेंदोला को कोई बड़ा इनाम देगी. क्योंकि उन्होंने सांवेर और जोबट के उपचुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उनके समर्थकों को भी आस थी कि मेयर पद के लिए दादा सबसे उपयुक्त उम्मीदवार हैं. इंदौर की जनता भी यही मान रही थी कि दादा दयालु सबसे प्रबल दावेदार हैं. लेकिन रमेश मेंदोला के साथ अक्सर ऐसा होता है कि जब वे सीढ़ी चढ़ने की स्थिति में होते हैं तो कोई पीछे से टांग खींच देता है. इस बार भी यही हुआ. इससे उनके चाहने वाले मायूस हो गए हैं.