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50 साल से कम उम्र के लोगों की हुई कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा मौतें, एम्स की स्टडी का दावा

National News : एम्स की एक स्टडी में दावा किया गया है कि कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से देश में 65 साल से अधिक उम्र के लोगों की तुलना में 50 साल से कम उम्र के लोगों की सबसे ज्यादा मौत हुई है. हिंदुस्तान टाइम्स ने समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से लिखा कि इस अध्ययन में एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया, एम्स ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉ राकेश मल्होत्रा और कई अन्य लोगों के लेख भी शामिल किये गये हैं. इंडियन जर्नल ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन में प्रकाशित इस आकलन में मुख्य रूप से पिछले साल 4 अप्रैल से 24 जुलाई की अवधि के बीच कोविड-19 वयस्क रोगियों की मौत से संबंधित है.

कोविड-19 मौतों पर एम्स का अध्ययन भारत में समर्पित कोविड-19 केंद्रों में भर्ती रोगियों में मृत्यु दर के कारणों का पता लगाने के साथ-साथ नैदानिक महामारी विज्ञान की विशेषता का वर्णन करने के लिए किया गया था. अध्ययन अवधि के दौरान लगभग 654 वयस्क रोगियों को आईसीयू में भर्ती कराया गया था. इसमें से 247 की मृत्यु हुई, मृत्यु दर लगभग 37.7 फीसदी दर्ज की गई.

अध्ययन को आसान बनाने के लिए वयस्क रोगियों को कई आयु समूहों में विभाजित किया गया था. यह 18 से 50, 51 से 65 और 65 से ऊपर था. अध्ययन से पता चलता है कि 42.1 फीसदी मौतें 18-50 आयु वर्ग की थीं, 51 से 65 आयु वर्ग के 34.8 फीसदी लोगों की मौत हुई थी और 65 साल के ऊपर के 23.1 फीसदी लोगों की मौत हुई थी. इनमें से अधिकांश कोविड-19 रोगियों में सामान्य पहलुओं में उच्च रक्तचाप, मधुमेह और क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित थे.

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वे बुखार खांसी और सांस की तकलीफ से भी पीड़ित थे. सभी मृत मरीजों का डेटा उनकी इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिपोर्ट, मरीजों की दैनिक प्रगति चार्ट, साथ ही आईसीयू में नर्सिंग नोट्स में एकत्र किया गया था. विभिन्न अध्ययनों में, कोविड-19 रोगियों में आईसीयू मृत्यु दर 8.0 फीसदी से 66.7 फीसदी के बीच भिन्न होती है. कई अन्य देशों, जैसे कि अमेरिका, स्पेन और इटली ने भी इसी तरह की मृत्यु दर की सूचना दी है.

इस बीच, एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि टीकाकरण कोरोना वायरस महामारी से बाहर निकलने का एक रास्ता है. उन्होंने कोविड-19 के खिलाफ बच्चों के लिए वैक्सीन की उपलब्धता को बेहद जरूरी बताया है. गुलेरिया ने कहा कि बच्चों के लिए कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध कराना एक मील का पत्थर साबित होगा और स्कूलों को फिर से खोलने और उनके लिए बाहरी गतिविधियों को फिर से शुरू करने का मार्ग प्रशस्त करेगा.

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