सीबीआई ने भोपाल के एक कोयला कारोबारी पर बैंक के 175 करोड़ रुपए गबन करने का मामला दर्ज किया है.
कारोबारी पर आरोप है कि उसने भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी व मेहुल चौकसी की तरह लोन घोटाला किया है. बैंक की शिकायत पर सीबीआई ने घोटाले की जांच शुरू कर दी है.
सीबीआई को हुई शिकायत में बैंक ऑफ बड़ौदा ने बताया है कि कोयला कारोबारी अनिल जैन को वर्ष 2014 में 175 करोड़ रुपए का लोन दिया गया था. यह कर्ज 90 से 180 दिन की लाइन ऑफ क्रेडिट पर था.
इसका मतलब यह था कि जैन को 180 दिन के भीतर लोन चुकता करना होगा. जैन ने यह रकम नहीं चुकाई तो बैंक ने भोपाल स्थित सीबीआई दफ्तर में जैन व उसके परिजनों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. मामले में सीबीआई ने जैन समेत 6 पार्टनरों को भी आरोपी बनाया है
घोटाले को ऐसे दिया अंजाम…
सबसे पहले लिमिट बढ़ाई – बैंक ने बताया कि जैन की कंपनी कोयले की ट्रेडिंग से जुड़ी थी. सबसे पहले जैन ले बैंक से साल 2010 में तीन अलग-अलग तरह की लाइन ऑफ क्रेडिट लिमिट लेकर 80 करोड़ रुपए का कर्ज लिया. यह कर्ज कोयला खरीदी के नाम पर लिया गया. इसके बाद जैन 2014 में लिमिट बढ़वाकर 175 करोड़ कर ली. फिर उसने इस पैसे को विदेश में भेज दिया.
पैसा डाइवर्ट करना शुरू किया – 2016 तक सब कुछ ठीक था लेकिन नोटबंदी के बाद यानी साल 2017 से जैन ने कर्ज के पैसों को विदेश डाइवर्ट करना शुरू कर दिया. इसके लिए विदेशी कंपनी अवनी रिसोर्स का उपयोग किया गया. उसके नाम 28.50 करोड़ रुपए का फॉरेन क्रेडिट लेटर जारी करवाया. हालांकि इस कंपनी से जो कोयला आयात करना बताया गया, वह कभी आया ही नहीं.
फर्जी कस्टम क्लीयरेंस और बिल बनवाए –जैन ने निखिल मर्चेंटाइल, श्याम और शिवम कोल ब्लॉक जैसी दर्जनों कंपनियों से बड़े पैमाने पर कोयला मंगाना और पेमेंट करना बताया. इसके लिए उसने फर्जी कस्टम क्लीयरेंस और दूसरे बिल बनवाए. बैंक ने जब जांच की तो पता चला कि ये सारी आपूर्ति हुई ही नहीं या जितनी हुई उससे कहीं गुना अधिक बताई गई. यही नहीं, फर्जी ऑडिट रिपोर्ट बनाकर 4 करोड़ का मुनाफा बताया, लेकिन तत्काल बाद दूसरी ऑडिट रिपोर्ट पेश करके उसने 112 करोड़ का नुकसान दिखाया. इस बीच जैन ने कोयाला खरीदी के लिए मिल कर्ज से 30 करोड़ रुपए की निजी उधारी चुका दी.
क्या है लाइन ऑफ क्रेडिट
किसी खास व्यापारिक उद्देश्य के लिए बैंक बल्क में कर्ज की एक सीमा जारी करती है. इस सीमा के भीतर कारोबारी कभी भी कर्ज निकासी या लोन विद्ड्रॉल कर सकते हैं. बस शर्त यह होती है कि उन्हें पैसा तय अवधि यानी 90 से 180 दिन के भीतर लौटाना होता है. एक बार पैसा लौटाने के बाद फिर से उसे निकाला जा सकता है. नीरव मोदी मामले में पंजाब नेशनल बैंक ने ऐसी ही क्रेडिट जारी की थी.
किसी खास व्यापारिक उद्देश्य के लिए बैंक बल्क में कर्ज की एक सीमा जारी करती है. इस सीमा के भीतर कारोबारी कभी भी कर्ज निकासी या लोन विद्ड्रॉल कर सकते हैं. बस शर्त यह होती है कि उन्हें पैसा तय अवधि यानी 90 से 180 दिन के भीतर लौटाना होता है. एक बार पैसा लौटाने के बाद फिर से उसे निकाला जा सकता है. नीरव मोदी मामले में पंजाब नेशनल बैंक ने ऐसी ही क्रेडिट जारी की थी.