MP News: मध्यप्रदेश में बिजली कंपनियों के 12 हजार 578 करोड़ रुपए बकाया हैं। ये राशि वसूल ली जाए, तो 5 साल तक बिजली के दाम नहीं बढ़ाने पड़ेंगे। इधर व्यवस्था सुधारने के लिए बिजली कंपनियों को संसाधन के साथ मैन पावर की जरूरत है, लेकिन कमियां पूरी करने में बकाए की राशि का हवाला देकर हीला हवाली की जाती है और खामियाजा आम उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है।
मध्यप्रदेश में जब भी बिजली के महंगे दाम को लेकर सवाल उठता है, तो बिजली कंपनियों के घाटे का हवाला दिया जाता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि बिजली कंपनियों का 12 हजार 578 करोड़ रुपए बकाया है। अगर ये राशि वसूल ली जाए, तो कोई घाटा नहीं रहेगा। इतना ही नहीं अगले 5 साल तक बिजली के दाम बढ़ाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन बिजली कंपनियां वसूली की ज़हमत नहीं उठा रही है। प्रदेश के करीब 70 लाख बिजली उपभोक्ता बकाया राशि नहीं दे रहे है, जिसका खामियाजा बाकी के 1 करोड़ 66 लाख उपभोक्ताओं को उठाना पड़ रहा है। ऊर्जा मंत्री का कहना है कि इस संबंध में सीएम शिवराज सिंह से बात की जाएगी। सवाल ये है कि आखिर बिजली कंपनियां बकाया राशि क्यों नहीं वसूल पा रही है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण राजनीतिक दबाव है। बड़े बकायेदारों पर वसूली करने में राजनीतिक रसीद आड़े आ जाती है, तो कई जगह लड़ाई, झगड़े और मारपीट हो जाती है, जिससे मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। करोड़ों का बकाया और वसूली में बिजली कंपनियों की उदासीनता का खामियाजा उन उपभोक्ताओं को उठाना पड़ रहा है, जो ईमानदारी से अपने हिस्से की अदायगी कर रहे है। ऐसे में सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेकर उचित कदम उठाने की जरूरत है।