उन्होंने कहा, ” गांव वालों ने अनुमान लगाया कि मंदिर के पुनर्निर्माण और दूसरे विकास कार्यों में कम-से-कम 21 लाख रुपये खर्च होंगे। इसलिए हमने चारों उम्मीदवारों से कहा कि जो चुनाव लड़ना चाहते हैं, बोली लगाएं। सौभाग सिंह ने सबसे अधिक 44 लाख की बोली लगाई इसलिए हमलोगों ने फैसला किया है कि सिर्फ वही नामांकन भरेंगे।”
गांव वालों की इच्छा से हुआ चुनाव
भटौली पंचायत के लिए सरपंच पद की बोली लगाने वाले सौभाग सिंह यादव का कहना है कि गांव में शांति बनी रहे। व्यर्थ पैसा बर्बाद नहीं हो, मेरे द्वारा दिया गया पैसा मंदिर के कार्य में लगेगा जो धार्मिक कार्य है। किसी भी प्रकार के शराब व अन्य कार्यों में पैसा जाने से बचेगा, सभी के सहयोग से प्रत्याशी चुना गया है। गांव वालों की यही इच्छा थी कि मंदिर के लिए पैसा एकत्र करते हुए सरपंच चुना जाए और उसी आधार पर चुना गया है।
2009 में भी ऐसे ही हुआ था चुनाव
ग्रामीणों से मिली जानकारी अनुसार 2009 के चुनाव में भी कुछ इसी प्रकार से सरपंच का चुनाव हुआ था। उस समय यह रकम 5 लाख रुपए थी। बोली में लगाई गई राशि को मंदिर प्रबंधन के पास रखना होगा। यह रकम गांव के विकास के लिए इस्तेमाल की जाएगी।
प्रशासन का जांच का आश्वासन
जब इस मामले को लेकर अशोकनगर जिले के कलेक्टर आर उमा महेश्वरी बातचीत हुई तो उन्होंने कहा कि इस मामले को दिखा रहे हैं। वहीं इस मामले को लेकर प्रभारी मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने कहा कि यह मामला मेरी जानकारी नहीं है इस मामले को में दिखावाता हूं और अगर ऐसा हुआ है तो यह लोकतंत्र की हत्या है। वही चुनाव एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इसका चुनाव की वैधानिकता से कोई सीधा संबंध नहीं है जो भी चुनाव लड़ेगा उसे फॉर्म भरना ही होगा। सरपंच पद पर एकमात्र फॉर्म आता है और वह वैध पाया जाता है तो वह सरपंच चुन लिया जाएगा। वह कोई भी हो सकता है, चाहे बोली लगाने वाला ही क्यों न हो।