MP News – MP Panchayat Chunav – वोट नहीं, पैसे से हुआ फैसला; 44 लाख की बोली लगाकर जीती सरपंची

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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Mp News. अशोकनगर जिले में पंचायत चुनाव का एक अनोखा मामला सामने आया है। भटौली ग्राम पंचायत में गांव वालों ने मंदिर में बैठकर पंचायत बुलाई और सरपंची के दावेदारों से बोली लगवाई। 21 लाख रुपये से बोली शुरू हुई और 44 लाख रुपये पर पहुंची। सौभाग सिंह ने 44 लाख रुपये में अंतिम बोली लगाई और सभी ने उन्हें सरपंची के लिए चुन लिया है। अब उनके खिलाफ दूसरा कोई खड़ा नहीं होगा।
प्रदेश में सालभर के इंतजार के बाद पंचायत चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई है और  अशोक नगर के भटोली पंचायत में निर्विरोध सरपंच का चुनाव कराने के लिए दावेदारों को एक साथ बैठाकर बोली लगवाने का मामला सुर्खियां बटोर रहा है। हालांकि इस प्रकार से सरपंच के चुनाव को अधिकारी नियम के विरुद्ध बताते हुए जांच करवाने की बात कह रहे हैं।पंचायत के मौजूदा सरपंच रमेश लोधी ने बताया, “वर्ष 2009 में भी ग्रामीणों ने विकास कार्य की शर्तों पर मंदिर में उम्मीदवार का फैसला किया था, लेकिन 2015 में चुनाव हुआ और मेरी जीत हुई। इसकी वजह से आपस में बिना मतलब के मतभेद पैदा हुए. इसलिए हमलोगों ने इस बार फैसला किया कि सर्वसम्मति से उम्मीदवार का फैसला कर लिया जाए ताकि निर्विरोध चुनाव हो सके।”

उन्होंने कहा, ” गांव वालों ने अनुमान लगाया कि मंदिर के पुनर्निर्माण और दूसरे विकास कार्यों में कम-से-कम 21 लाख रुपये खर्च होंगे। इसलिए हमने चारों उम्मीदवारों से कहा कि जो चुनाव लड़ना चाहते हैं, बोली लगाएं। सौभाग सिंह ने सबसे अधिक 44 लाख की बोली लगाई इसलिए हमलोगों ने फैसला किया है कि सिर्फ वही नामांकन भरेंगे।”

गांव वालों की इच्छा से हुआ चुनाव

भटौली पंचायत के लिए सरपंच पद की बोली लगाने वाले सौभाग सिंह यादव का कहना है कि गांव में शांति बनी रहे। व्यर्थ पैसा बर्बाद नहीं हो, मेरे द्वारा दिया गया पैसा मंदिर के कार्य में लगेगा जो धार्मिक कार्य है। किसी भी प्रकार के शराब व अन्य कार्यों में पैसा जाने से बचेगा, सभी के सहयोग से प्रत्याशी चुना गया है। गांव वालों की यही इच्छा थी कि मंदिर के लिए पैसा एकत्र करते हुए सरपंच चुना जाए और उसी आधार पर चुना गया है।

2009 में भी ऐसे ही हुआ था चुनाव
ग्रामीणों से मिली जानकारी अनुसार 2009 के चुनाव में भी कुछ इसी प्रकार से सरपंच का चुनाव हुआ था। उस समय यह रकम 5 लाख रुपए थी। बोली में लगाई गई राशि को मंदिर प्रबंधन के पास रखना होगा। यह रकम गांव के विकास के लिए इस्तेमाल की जाएगी।

प्रशासन का जांच का आश्वासन
जब इस मामले को लेकर अशोकनगर जिले के कलेक्टर आर उमा महेश्वरी बातचीत हुई तो उन्होंने  कहा कि इस मामले को दिखा रहे हैं। वहीं इस मामले को लेकर प्रभारी मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने कहा कि यह मामला मेरी जानकारी नहीं है इस मामले को में दिखावाता हूं और अगर ऐसा हुआ है तो यह लोकतंत्र की हत्या है। वही चुनाव एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इसका चुनाव की वैधानिकता से कोई सीधा संबंध नहीं है जो भी चुनाव लड़ेगा उसे फॉर्म भरना ही होगा। सरपंच पद पर एकमात्र फॉर्म आता है और वह वैध पाया जाता है तो वह सरपंच चुन लिया जाएगा। वह कोई भी हो सकता है, चाहे बोली लगाने वाला ही क्यों न हो।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।