MP News – अधिकारी नहीं कर सकेंगे फिटनेस टेस्ट… ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर से गुजरेंगे वाहन

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अगले साल से मशीनों से होगा बस-ट्रक का फिटनेस टेस्ट, प्रदेश में अभी नहीं है एक भी ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर

भोपाल। परिवहन मंत्रालय देश में कमर्शियल वाहनों के फिटनेस के लिए सख्त कदम उठाने जा रहा है। अगले साल से बड़े कमर्शियल वाहन जैसे बस और ट्रकों को फिटनेस टेस्ट अधिकारियों से कराने  के बजाए ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर्स यानी मशीनों से ही हो सकेगा। इसके साथ ही 2024 में यह नियम छोटे कमर्शियल वाहनों के लिए भी लागू कर दिया जाएगा। हालांकि प्रदेश में अभी एक भी ऑटोमेटेड फिटनेस ट्रैक नहीं है। ऐसी स्थिति में अगले साल से इस व्यवस्था को लागू करने के लिए इससे पहले सेंटर्स तैयार करने होंगे, जो बड़ी चुनौती है।

केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने 2018 में कमर्शियल वाहनों का फिटनेस टेस्ट ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर्स के माध्यम से ही किए जाने को लेकर आदेश जारी किए थे। आदेश में कहा गया था कि हर आरटीओ ऑफिस में अक्टूबर 2018 तक ऐसे ट्रैक तैयार किए जाने जरूरी होंगे, जिन पर जाने के बाद सिस्टम ही वाहन के फिट होने का पूरा परीक्षण करेगा और सही पाए जाने पर ही फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इसके कुछ समय बाद मंत्रालय ने फिटनेस सेंटर्स पीपीपी मॉडल पर बनाए जाने की नीति तैयार की। कुछ समय पहले इसे लेकर विस्तृत दिशानिर्देश भी जारी किए गए हैं। इसके बाद अब मंत्रालय ने इस व्यवस्था को लागू करने के लिए हाल ही में एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि सभी बड़े कमर्शियल वाहनों का फिटनेस 1 अप्रैल 2023 से ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर्स के माध्यम से ही किया जा सकेगा, वहीं छोटे कमर्शियल वाहनों के लिए यह अनिवार्यता 1 जून 2024 से लागू होगी। मंत्रालय ने इस पर दावे-आपत्तियां भी आमंत्रित किए हैं, जिसके बाद इसे लागू किया जाएगा।
बंद होगा अनफिट वाहनों का सड़क पर दौडऩा

परिवहन विभाग के नियमानुसार हर कमर्शियल वाहन को सड़क पर चलने के लिए फिटनेस टेस्ट करवाना जरूरी होता है। आठ साल तक यह टेस्ट हर दो साल में और आठ साल के बाद हर साल करवाना होता है। अब तक देश के ज्यादातर हिस्सों में परिवहन अधिकारी या उनके स्थान पर उनके अधीनस्थ ही वाहन को ऊपरी तौर पर देखकर उसके फिट या अनफिट होने का फैसला लेते हैं। इसमें भ्रष्टाचार भी खूब होता है और पैसों के बदले अनफिट वाहन भी ये सर्टिफिकेट पा लेते हैं, लेकिन ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर पर ऐसा नहीं हो पाएगा। वहां मशीनों के माध्यम से ना सिर्फ वाहन की बाहरी तौर पर जांच होगी, बल्कि आंतरिक जांच भी की जाएगी। इसके बाद सभी मापदंडों पर खरा पाए जाने के बाद ही वाहन को फिटनेस सर्टिफिकेट मिल सकेगा। ऐसा होने पर सिर्फ फिट वाहन ही सड़कों पर चल पाएंगे।
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