मध्यप्रदेश के सभी निजी नर्सिंग कॉलेजों की जांच करेगी सीबीआई, उच्च न्यायालय ने दिये आदेश बड़े अधिकारी, नेता और व्यापारी आएंगें लपेटे में. होटल के कमरे में स्कूल चल रहे हैं, परीक्षा के नाम पर कोई दूसरा आदमी बैठाकर पास भी करा देता है, क्राइसिस के नाम पर लास्ट मोमेंट पर पोर्टल खोलते हैं ये सब साजिश है- उच्च न्यायालय.
- जाँच में निकलेंगें कई फर्जीवाड़े
- कॉलेजों की पिछले पांच साल की मान्यता की होगी जाँच
- इंडियन नर्सिंग काउंसिल, मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउन्सिल, मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी जबलपुर से दस्तावेज प्राप्त कर सुरक्षित करने के आदेश
- प्रदेश के 570 कॉलेजों की पृथक पृथक होगी बिन्दुवार जांच
- नेताओं, अधिकारियों और रसूखदारों के हैं प्रदेश में कॉलेज किसी के आठ तो किसी के दस से अधिक
- इंदौर के 32 से अधिक कॉलेजों में पहुंचेगी सीबीआई की टीम
- प्रदेश के 30% कॉलेज ही नियमों के मापदंड पर 80 फीसदी खरें है
MP Nurses Registration Council News। मध्य प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों में हो रहे फर्जीवाड़े को लेकर मंगलवार को हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में सुनवाई हुई. इस मामले में सीबीआई ने अपनी जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट के सामने पेश की जब हाईकोर्ट ने इस जांच रिपोर्ट को पढ़ा तो कई खामियां पाई.
मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सीबीआई को प्रदेश के 700 में से 570 नर्सिंग कॉलेजों की जांच कर 14 जून तक विस्तृत जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए है कि वह अपनी रिपोर्ट में बताएं कि किस आधार पर नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गई है. मसलन कॉलेज कब खुला, कितने बच्चे है, क्या फैकल्टी है, कितना इंफ्रास्ट्रक्चर है ?
वही याचिकाकर्ता अधिवक्ता उमेश बौहरे का कहना है कि सीबीआई को अपनी जांच के दौरान जल्द से जल्द रिकॉर्ड भी जब्त करना चाहिए. यदि ऐसा नहीं किया तो नर्सिंग माफिया रिकॉर्ड को प्रभावित कर सकता है. इस पर हाई कोर्ट ने जांच एजेंसी को आदेश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि जिस आधार पर वे रिपोर्ट बना रहे हैं वे दस्तावेज नष्ट न हो.
म.प्र. की शिक्षा में फर्जीवाड़े की ख़बरें आम बात है.
विगत 10 वर्ष में व्यपाम घोटाला, छात्रवृत्ति घोटाले जैसे अनेक घोटाले हुए अब एक नए फर्जीवाड़े ने तूल पकड़ा है नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाडा, पान पंचर की दुकानों की तरह खुले नर्सिंग कॉलेज बुनियादी सुविधाओं और नियमों को ताक पर रख, माल की ताल पर भ्रष्ट अधिकारीयों को नचा कर अनुमतियाँ प्राप्त कर लेते हैं और खिलवाड़ चालू होता है छात्रो के भविष्य के साथ ऐसी शिक्षा की दुकानों से अप्रशिक्षित अनुभवहीन जानलेवा नर्सिंग स्टाफ निकलते हैं जो सामान्य जनता की जिन्दगी से खेलते हैं.
ऐसा नहीं कि इन कुकुरमुत्ते की तरह उगे कॉलेजों की शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रियों तक नहीं गई.. गई पर हुआ कुछ नहीं क्योंकि यहाँ हमाम में सब नंगे हैं. गत वर्ष से कुछ समाजसेवी लोगों द्वारा उच्च न्यायालय में जनहित याचिका लगा कर इस फर्जीवाड़े को माननीय न्यायालाय के संज्ञान में लाया गया जिसका परिणाम मंगलवार को हुए सीबीआई जाँच के आदेश के रूप में आ रहा है जहाँ उच्च न्यायलय द्वारा प्रत्येक कॉलेजों की पृथक पृथक बिन्दुवार जांच कर रिपोर्ट को तीन महीने में पेश करने के आदेश दिए हैं बात यहीं तक नहीं बल्कि इन फर्जी कॉलेजों को अनुमति देने वाली मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउन्सिल भोपाल, मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी जबलपुर और इंडियन नर्सिंग काउंसिल दिल्ली से सभी कॉलेजों के दस्तावेज जब्त करने के भी आदेश दिए हैं.
उच्च न्यायलय ने जताई चिंता
सीबीआई को कहा आपमें सभी का विश्वास है, बहुत बड़ी जिम्मेदारी आपके ऊपर है, इस इंक्वायरी के बाद यह तय होगा यह संस्थाएं किस प्रकार से चलेंगी, किस प्रकार से स्टूडेंट्स को एडमिशन देंगी और कॉलेज नर्सिंग काउंसिल मेडिकल यूनिवर्सिटी से किस प्रकार से परमिशन और एफ़िलिएशन प्राप्त करेंगी.
क्योंकि जो शिकायत है वह बहुत सीरियस है जो बच्चे पढ़ रहे हैं जिन बच्चों ने कोर्स कम्प्लीट नहीं किया है प्रैक्टिकल नहीं दिया है परीक्षा आते ही उनका एडमिशन भी हो जाता है, जो स्कूल नहीं है जो होटल के कमरे में स्कूल चल रहे हैं उनको परमिशन दे दिया जाता है और यूनिवर्सिटी एग्जाम आने के पहले उनका एनरोलमेंट कर देती है एवं परीक्षा के नाम पर कोई दूसरा आदमी बैठ के पास भी करा देता है.
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जब ऐसे लोग नर्सिंग स्टाफ बनेंगे तो हमारे अस्पतालों में नर्सिंग की क्या पोजीशन होगी चाहे वो सरकारी अस्पताल हो या गैर सरकारी अस्पताल. क्या होगा उन मरीजों का जिनके लिए ये नर्स के रूप में काम करेंगे इनका बस चलेगा तो ये तो कुछ भी पिला देंगे इसलिए जिम्मेदारी बहुत अहम है यह देश के नागरिकों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है उनकी जिंदगी से जुड़ा हुआ मुद्दा है इसलिए सीबीआई इन्क्वायरी बड़ी शिद्दत से होनी चाहिए जब तक हम पूरे प्रॉब्लम को जड़ से उखाड़ कर फेंक न दें तब तक ये सुधरेगा नहीं, हर बार इलीगल एक्शन को लीगल करने की जो इनकी कवायद होती है.
क्राइसिस के नाम पर उसको हम एड्रेस नहीं करना चाहते उसको तो हम रिजेक्ट करना चाहते हैं ये हर बार नाटक करते हैं साहब परीक्षा होने वाली है और लास्ट मोमेंट पर पोर्टल खोलते हैं ये सब साजिश है जिसको अंजाम देने के लिए ये लास्ट मोमेंट में सब काम करते हैं आप 6 महीना लो दिक्कत नहीं है लेकिन इंक्वायरी का लॉजिकल एंड होना चाहिए.
कमियां शासकीय कॉलेजों में भी कम नहीं
बता दें कि प्रदेश के सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में सीटें तो बढ़ा दी गई, लेकिन न तो टीचिंग स्टाफ की भर्ती की और न ही इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया। चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में पढ़ रहे लगभग 10 हजार से अधिक छात्रों के लिए 1100 से ज्यादा फैकल्टी होना चाहिए, लेकिन करीब 400 ही उपलब्ध हैं। यहां तक कि 28 नर्सिंग कॉलेजों में से 16 में तो पूर्णकालिक प्राचार्य तक नहीं हैं। ऐसे में सवाल यह है कि बिना पर्याप्त टीचिंग स्टाफ, इन्फ्राट्रक्चर और होस्टल के इन शासकीय कॉलेजों को नर्सिंग काउंसिल से मान्यता कैसे मिल गई?
सदभावना सवाल हाल ही में प्रदेश के समस्त नर्सिंग कॉलेजों की जांच एसडीएम की अध्यक्षता में डॉक्टर एवं नर्सिंग स्पेशलिस्ट की टीम द्वारा की गई थी, अब यह जांच सीबीआई के द्वारा की जाना है सवाल यह उठता है कि जिन कॉलेजों को पूर्व में हुई जांच में क्लीन चिट मिली थी यदि सीबीआई की जांच में कॉलेज फर्जी पाए जाते हैं तो क्या स्पेशलिस्ट टीम भी जांच के घेरे में आएगी जिन्होंने इन कॉलेजों को सही करार दिया था.
शासकीय कॉलेज भी नियम और बुनियादी सुविधाओं को पूरा नहीं करते हैं क्या आगे चलकर शासकीय कॉलेज भी सीबीआई जांच के घेरे में आएंगे