कुशाभाऊ ठाकरे के नाम पर होगा मिंटो हॉल
मिंटो हॉल का इतिहास बहुत ही शानदार रहा है। यह ऐतिहासिक इमारत कभी मध्य प्रदेश की विधानसभा हुआ करती थी। जब इसके नाम बदलने की बात छिड़ी तो कई नाम सामने आए। कोई बोला कि डॉ. हरिसिंह गौर के नाम पर करना चाहिए। कांग्रेस ने टंट्या भील का नाम सुझाया। इस इमारत का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है। 12 नवंबर 1909 को यानी आज से करीब 112 साल पहले इसकी नींव रखी गई थी। भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मिंटो भोपाल आए थे। उन्हें उस समय राजभवन में रुकवाया गया। उन्हें व्यवस्थाएं पसंद नहीं आई तो भोपाल नवाब ने हॉल बनवाने का फैसला किया। इसकी नींव लॉर्ड मिंटो ने ही रखी थी। 25 साल में इमारत बनकर तैयार हुई। तब इसका नाम मिंटो हॉल रखा गया। इससे पहले भी कई मर्तबा इस इमारत का नाम बदलने की मांग उठी है।
भाजपा कार्यसमिति की बैठक के समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हम यहां बैठे हैं और इसका नाम है मिंटो हॉल। अब आप बताओ, ये धरती अपनी, ये मिट्टी अपनी, ये पत्थर अपने, ये गिट्टी अपनी, ये चूना अपना, ये गारा अपना, ये भवन अपना, बनाने वाले मजदूर अपने, ये पसीना अपना और नाम मिंटो का। इस विधानसभा भवन में कई लोग बैठे थे। उन्हें यहां तक और लोकसभा तक पहुंचाने वाले कुशाभाऊ ठाकरे हैं। जिन्होंने ये नेता गढ़े, जिन्होंने ये कार्यकर्ता बनाए। जिन्होंने पूरे मध्यप्रदेश में वट वृक्ष के रूप में भारतीय जनता पार्टी को खड़ा किया, इसलिए मिंटो हॉल का नाम कुशाभाऊ ठाकरे जी के नाम पर रखा जाएगा।