इंदौर । पंचम निषाद संगीत संस्थान द्वारा प्रस्तुत ‘कला-संवर्धन’ श्रृंखला की नवीनतम संध्या ‘राग-संगीत से सुगंधित गीतमाला’ इंदौर के साज ऑडिटोरियम में शंकर-जयकिशन के सदाबहार संगीत को समर्पित रही, जो हर दृष्टि से ऐतिहासिक बन गई।
कार्यक्रम हाउसफुल रहा — न केवल सभी सीटें भरी थीं, बल्कि दर्शक जमीन पर बैठे और बाहर खड़े रहकर भी इस सांगीतिक जादू का आनंद लेते रहे। सभी गायकों ने अपनी सुरीली आवाज में श्रोताओं को बांधे रखा, और जैसे-जैसे कार्यक्रम आगे बढ़ा, श्रोता झूम उठे। मंच पर वाद्य यंत्रों का तालमेल, जुगलबंदी और सामंजस्य अद्भुत था, जिसने पूरे वातावरण को भावविभोर कर दिया।
कार्यक्रम की संकल्पना शोभा चौधरी की थी, और इसमें प्रमुख स्वर नियम कानूनगो, ऋषि भाटिया, मनीष मोडक, केदार मोडक, सुषील शर्मा, रोहित शहाड़े, मीनल मोडक, वैष्णवी कुलकर्णी, गुणिता रिसबुड, श्रावणी मोडक, अंशुली होलकर और प्रणमी मंडल जैसे कलाकारों ने सुरों की अद्भुत छटा बिखेरी।
कार्यक्रम के अंत में छोटी बालिका श्रावणी ने जब ‘सायोनारा सायोनारा, वादा निभाऊंगी, कल फिर आऊँगी, सायोनारा’ गीत गाया, तो पूरे सभागार का मन मोह लिया। उनकी मासूम आवाज और भावपूर्ण प्रस्तुति ने समापन को अविस्मरणीय बना दिया।
समय की मर्यादा के कारण कार्यक्रम को विराम देना पड़ा, अन्यथा श्रोता और सुनने को आतुर थे।
संगीत संयोजन अभिजीत गौड़ ने किया और ध्वनि व्यवस्था रही राम रेडियोग्राफिक्स के जिम्मे। मंच सज्जा में योगदान रहा किशोर जैन का। और विशेष उल्लेख योग्य है मंच संचालन — संजय पटेल का संचालन वर्षों से जिस संजीदगी और गंभीरता से होता आया है, वह हर बार की तरह इस बार भी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर गया।
कार्यक्रम सभी संगीत प्रेमियों के लिए निःशुल्क था और यह भारतीय संस्कृति के सुरमय संवर्धन की दिशा में एक प्रेरक प्रयास सिद्ध हुआ।