National News – हिंदू के बिना भारत और भारत के बिना हिंदू की कल्पना नहीं – मोहन भागवत

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‘हिंदू के बिना भारत नहीं और भारत के बिना हिंदू नहीं. अखंड भारत की कल्पना हमारी सत्यता और ध्येय से पूरी होती है. इतिहास गवाह है, जब-जब हिंदू के अंदर हिंदुत्व का भाव या ताकत कम हुई तो हिंदू की संख्या कम हुई. भारत को हिंदू रहना है, तो अखंडता और एकात्मता जरूरी है…,’ यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत ने शनिवार को कही. वे ग्वालियर में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

कार्यक्रम में जीवाजी विश्वविद्यालय के अटल बिहारी सभागार में आयोजित किया गया था. डॉ. मोहन भागवत के विशेष अतिथि थे. उन्होंने कहा कि देश को इसलिए ही भारत माता नहीं कहते हैं कि इससे हमें अन्न मिलता है. यह भारत माता हमें हमारा स्वभाव और संस्कार भी देती हैं. इसलिए भारत का स्व कभी भारत से अलग नहीं हो सकता. आज जिसको हम हिंदू धर्म, हिंदुत्व संस्कृति कहते हैं, उसके मूल हमें यहां से मिलते हैं. इस कार्यक्रम के बाद RSS प्रमुख भागवत वीरांगना लक्ष्मीबाई की समाधि पर गए और पुष्पांजलि अर्पित की. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान थे. उन्होंने राममंदिर से लेकर कई विषयों पर अपनी बात रखी.

कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत ही एक मात्र ऐसा देश है, जिसके संस्कार सत्य और संबंध से बने हैं. यह जोड़ता है, तोड़ता नहीं. पश्चिमी देशों की तरह नहीं जो अपने हितों और स्वार्थ के लिए संबंध रखते हैं. उन्होंने उदाहरण दिया कि अमेरिका के साथ आपके संबंध तब तक अच्छे हैं जब तक उसे आपसे नुकसान नहीं है. यदि उसे नुकसान होगा, तो वह आपसे संबंध तोड़ने में सोचेगा नहीं. पश्चिमी देश सोचते हैं जो अपने लिए अनुकूल है, वह अपना है. जो अनुकूल नहीं है, उससे संबंध नहीं रखना. जो विरोध करता है, वह विरोधी है. उससे संबंध नहीं रखना है. विरोधी कोई गड़बड़ करता है, तो उसे समाप्त कर देना चाहिए. इस बयान पर जब लोगों ने तालियां बजाई, तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि यह पश्चिमी देशों की संस्कृति के लिए कह रहा हूं. आप गलत न समझें. हमारी संस्कृति ऐसी नहीं है.

इस बात पर भी भागवत ने दिया जोर

डॉ. भागवत बोले- भारत क्यों टूटा, क्योंकि हिंदू अपने आप को भूल गए. मुसलमान खुद को भूल गए. अंग्रेजों ने दूसरा मुल्क पाकिस्तान के रूप में बना दिया. मुसलमान कह सकते थे कि तुम अपने आप को हिंदू मत कहो, क्योंकि सारे वेद हमारी जमीन पर बने, जिससे तुम अपना हिंदू उच्चारण करते हो वह हिंदूकुश हमारे यहां है, लेकिन उन्हें पता था भारत है, तो हिंदू है. हिंदू है, तो हिंदुस्तान है.

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।