कैंसर के इलाज की नई तकनीक से दवाओं की जरूरत होगी कम- स्टडी

sadbhawnapaati
2 Min Read

Health News. रिसर्चर्स ने कैंसर व अन्य रोगों के इलाज की एक नई रासायनिक तकनीक का पता लगाया है.
ब्रिटेन के लीसेस्टर इंस्टीट्यूट ऑप स्ट्रक्चरल एंड केमिकल बायोलॉजी के सदस्यों ने कैंसर के लिए जिम्मेदार प्रोटीन के प्रभाव को कम करने के लिए प्रोटियोलिसिस टार्गेटिंग चिमेरस का पुल (ब्रिज) के रूप में इस्तेमाल किया.

इस नई स्टडी में बताया है कि किस तरह लीसेस्टर के रिसर्चर्स ने प्रोटीन के प्रभाव को कम करने वाली पहले बताई गई तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसे प्रोटैक के नाम से जाना जाता है.

वैज्ञानिकों ने इस तकनीक के जरिए पहले से ही अधिक लक्षित तरीके से हिस्टोन डीएसेटाइलेशन एंजाइम के असर को कम किया.

एचडीएसीएस जीन के रेगुलेशन यानी नियमन में अहम भूमिका निभाता है और ये बीमारियों की सीरीज से भी संबधित है. इनमें कैंसर व अल्जाइमर जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव डिजीज शामिल हैं.

इस स्टडी का निष्कर्ष ‘जर्नल ऑफ मेडिसिनल केमिस्ट्री में प्रकाशित किया गया है.

कैंसर सेल्स के भीतर विशिष्ट संरचनाओं को लक्षित करने के लिए इस अग्रणी तकनीक के उपयोग से नई व मौजूदा दवाओं की क्षणता और विकल्प बढ़ सकता है.

इसका मतलब है कि मरीजों को इलाज के लिए कम दवाओं की जरूरत पड़ेगी और उन्हें दवाओं के साइड इफेक्ट का खतरा भी कम रहेगा. ग्रुप को इस तकनीक के लिए यूरोपीय पेटेंट कार्यालय से पेटेंट भी मिल चुका है.

क्या कहते हैं जानकार

लीसेस्टर यूनिवर्सिटी में ऑर्गेनिक केमिस्ट्री एंड केमिकल बायोलॉजी में के एसोसिएट प्रोफेसर और इस स्टडी के संबंधित लेखकों में से एक डॉ जेम्स हॉजकिंसन का कहना है, “हम वास्तव में इस बात से उत्साहित हैं कि क्या ये नए अणु कैंसर कोशिकाओं और दवाओं में उनके संभावित भविष्य के विकास में सक्षम हैं?

’ उन्होंने आगे कहा, “हम आगे उनकी रासायनिक संरचना और जैविक गुणों को अनुकूलित करेंगे. ताकि एक दिन उनका उपयोग कैंसर रोगियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए किया जा सके.”

Share This Article