नोटबंदी पर केंद्र सरकार और RBI को नोटिस: मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले की जांच करेगी सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ

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National News । सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर नोटिस जारी किया है। संविधान पीठ इसकी जांच करेगी कि क्या यह मुद्दा अब केवल अकादमिक है। याचिकाएं नवंबर 2016 के केंद्र के फैसले को चुनौती देती हैं।

संविधान पीठ में जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और बीवी नागरत्ना शामिल हैं। मामला छह साल बाद संविधानिक पीठ के सामने आया है। केंद्र की मोदी सरकार और आरबीआई ने हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा है। मामले की अगली सुनवाई अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी।
न्यायमूर्ति नजीर की अध्यक्षता वाली एक संविधान पीठ ने 28 सितंबर को कहा था कि वह इस पर विचार करेगी कि क्या याचिकाएं अकादमिक अभ्यास हैं। जस्टिस बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और बीवी नागरत्न की बेंच ने नोटों के विमुद्रीकरण को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई के बाद ये टिप्पणी की थी।
बुधवार को मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नजीर ने कहा कि वहां 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा किए गए विमुद्रीकरण अभ्यास के पीछे निर्णय लेने की प्रक्रिया को देखेगा। शीर्ष अदालत ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक से विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा।
8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। इस अभूतपूर्व निर्णय का एक प्रमुख उद्देश्य डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना और काले धन के प्रवाह पर अंकुश लगाना था। केंद्र सरकार के दो उच्च मूल्यवर्ग की मुद्राओं को वापस लेने के अचानक निर्णय के कारण बैंकों के बाहर लोगों की लंबी कतारें चलन में आने/जमा करने के लिए लगीं।
एटीएम के बाहर भी कैश निकालने के लिए लोगों की लंबी कतार लग गई। अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्र, विशेषकर असंगठित क्षेत्र, सरकार के फैसले से प्रभावित हुए। विमुद्रीकरण अभ्यास के हिस्से के रूप में तत्कालीन प्रचलित 500 और 1,000 रुपये के नोटों को वापस लेने के बाद, सरकार ने पुन: मुद्रीकरण के हिस्से के रूप में 2,000 रुपये के नए नोट पेश किए थे। इसने 500 रुपये के नोटों की एक नई श्रृंखला भी पेश की। बाद में, 200 रुपये का एक नया मूल्यवर्ग भी जोड़ा गया।
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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।