इंदौर. कोरोना संक्रमण में पिछले साल से लगातार अपनी जान जोखिम में डालकर विभिन्न सरकारी कोविड अस्पतालों में सेवाएं देने वाले नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) की अस्थाई स्टाफ नर्सों व पैरामेडिकल स्टाफ की सेवाएं 1 जुलाई से बंद की जा रही है। इसे लेकर उनमें आक्रोश है। गुस्सा इस बात को लेकर है कि संक्रमण में ड्यूटी देने के दौरान कई साथी चपेट में आए गए और कुछ एक की मौत हो गई। ऐसे में अब उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा। मामले में वे बुधवार को डीन डॉ. संजय दीक्षित से मिले। डीन ने कहा कि उन्होंने एनएचएम को जानकारी भेज दी गई है। इधर स्टाफ का कहना है कि यह महज खानापूर्ति है, 132 हेल्थ वर्कर्स की पहले ही सेवाएं बंद कर दी गई है जबकि अन्य को भी निकालने की तैयारी है।
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पिछले साल मार्च में जब कोरोना संक्रमण फैलना शुरू हुआ था तब एनएचएम ने स्टाफ की अस्थाई नियुक्तियां की गई थी। इसके तहत हर तीन महीने में इनकी सेवाएं बढ़ाई गई क्योंकि संक्रमण लगातार बढ़ रहा था। इस बीच नवम्बर-दिसम्बर में जब संक्रमण कम हुआ तब एनएचएम ने स्टाफ में कटौती की जिसे लेकर काफी आक्रोश रहा। इसके बाद अन्य को भी हटाए जाने की तैयारी की लेकिन फिर कोरोना संक्रमण बढ़ा तो सेवाएं जारी रखी। यह स्टाफ वर्तमान में सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (एसएसएच), एमवायएच, एमटीएच, न्यू चेस्ट सेंटर, एमआरटीबी आदि में सेवाएं दे रहा है जहां अब बहुत कम मरीज रह गए हैं। खास बात यह कि हाल ही में शासन ने संभाग में करीब 170 स्थाई स्टाफ की नियुक्तियां भी की है। ऐसे में अब इन्हें हटाया जा रहा है।
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