उज्जैन में महाकाल दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब, कोरोना काल के बाद भक्तों में सावन को लेकर अलग उत्साह

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Ujjain Mahakaal News। रिमझिम फुहारों के बीच भगवान भोलेनाथ को प्रिय सावन माह की शुरुआत हो चुकी है, जहां सावन माह के पहले ही दिन धार्मिक नगरी उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने मिली।

राजाधिराज भगवान महाकालेश्वर का आकर्षक श्रृंगार सावन माह के पहले दिन किया गया है। सबसे पहले सुबह 4 बजे बाबा महाकाल की भस्म आरती की गई, जिसके बाद भगवान महाकालेश्वर का श्रृंगार हुआ।

सावन माह के पहले दिन भक्तों ने बाबा महाकाल के दर्शन किए। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त बाबा महाकाल के दर्शन पाने मंदिर पहुंचे थे।

देश-विदेश से आए भक्त कर रहे दर्शन
सावन माह में बाबा महाकालेश्वर के दर्शन करने देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी भक्त धार्मिक नगरी उज्जैन पहुंचते हैं, जहां इसी को देखते हुए प्रशासन ने अलग तरह की व्यवस्था ही की हुई है।

दर्शनार्थियों को किसी तरह की कोई भी दिक्कत का सामना ना करना पड़े, इसको लेकर भी मंदिर प्रबंधन अलर्ट नजर आ रहा है। कुल मिलाकर देखा जाए तो कोरोना काल के बाद भक्तों में सावन माह को लेकर अलग उत्साह नजर आ रहा है।

मंदिर का समय भी हुआ परिवर्तित
सावन माह को देखते हुए मंदिर प्रबंधन ने मंदिर खुलने का समय परिवर्तित किया है, जहां पूरे सावन माह में मंदिर प्रातः काल 3 बजे खुलेगा। मंदिर खुलते ही सबसे पहले भस्म आरती की जाएगी, इतना ही नहीं सावन माह के सोमवार पर मंदिर रात 2 बजे ही खुल जाएगा।

सोमवार के दिन भक्त 20 घंटे बाबा महाकाल के दर्शन कर सकेंगे। सावन माह में पवित्र सोमवार का धार्मिक महत्व होता है, जिसे देखते हुए मंदिर प्रबंधन ने बड़ा फैसला लेते हुए यह निर्णय लिया है।

मंदिर परिसर में की गई विशेष साज-सज्जा
सावन माह को देखते हुए मंदिर प्रबंधन समिति ने बाबा महाकालेश्वर मंदिर में विशेष साज-सज्जा की हुई है, साथ ही मंदिर में वह सभी व्यवस्थाएं की गई है, जिसके चलते दर्शनार्थियों को बाबा महाकाल के सुगम दर्शन प्राप्त हो सके।

सावन माह से पहले ही मंदिर परिसर में साफ-सफाई और रंग रोगन का कार्य भी संपन्न कर लिया गया था। साथ ही सोमवार को निकलने वाली बाबा महाकाल की सवारी को लेकर भी तैयारियां पूरी कर ली गई है।

सोमवार को निकलेगी बाबा की सवारी
सावन और भादौ मास के प्रत्येक सोमवार को बाबा महाकाल नगर भ्रमण पर निकलते हैं, जहां वे अपनी प्रजा का हाल जानते हैं। चांदी की पालकी में सवार होकर जैसे ही बाबा महाकाल मंदिर परिसर से बाहर निकलते हैं, वैसे ही श्रद्धालुओं में अलग उत्साह देखने मिलता है। यही कारण है कि, बाबा महाकाल की सवारी के दर्शन करने श्रद्धालु दूर-दूर से धार्मिक नगरी उज्जैन पहुंचते हैं।

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