पिपलाज माता का प्राचीन मंदिर ब्यावर के निकटवर्ती ग्राम झाड़ली मानपुरा में स्थित है। यह मंदिर नवरात्रि पर्व के अवसर पर विशेष रूप से जीवंत हो उठता है। दूर-दराज़ के श्रद्धालु यहां आकर माता के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह मंदिर अरावली पर्वतमाला कि ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, मंदिर के आस पास पर्यटन का भी उचित स्थान है, यहां पर्यटक जंगल व तालाब का प्राकृतिक नजारा देखने भी आते रहते हैं । यहां चिता,भालु, सेही, निलगांय समेत विभिन्न प्रकार के जंगली जानवर देखने को मिलते हैं। यहां पर ही सेंदड़ा का प्रसिद्ध राक गार्डन भी आया हुआ है, पास ही में रेलवे लाईन, राष्ट्रीय राजमार्ग आया हुआ है जिससे पर्यटकों को यातायात के सुलभ साधनों कि व्यवस्था मिल जाती है।
स्थापना व इतिहास
स्थानिय बुजुर्ग नारायण सिंह मिस्त्री के अनुसार इस मंदिर की स्थापना लगभग 202 वर्ष पूर्व हुई थी। तब से लगातार यहां पर नियमित पूजा-अर्चना, वार्षिक मेला और नवरात्रि पर्व का आयोजन होता आ रहा है। मंदिर की परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी ग्रामवासियों द्वारा निभाई जाती है। यह जानकारी श्री नारायण सिंह मिस्त्री 68 वर्ष ने दी।
नवरात्रि पर्व का महत्व
नवरात्रि में यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन हेतु पहुंचते हैं। बालकों का जडुला संस्कार (चोटी कटवाना व बाल अर्पण करना) प्रमुख परंपरा है। इस बार धौलिया निवासी ठाकुर तेज सिंह खराली के 12 वर्षीय पुत्र मोहित सिंह का जडुला संस्कार मंदिर परिसर में संपन्न हुआ।
भोग व प्रसाद
ग्रामवासी माता को लापसी, दलिया, नारियल आदि का भोग लगाते हैं। उसके बाद यह प्रसाद सभी भक्तों में वितरित किया जाता है।
धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व
यह मंदिर न केवल श्रद्धा का केंद्र है बल्कि ग्रामवासियों की धार्मिक आस्था, सामाजिक एकता और परंपरा का प्रतीक भी है। हर वर्ष नवरात्रि पर यहां का वातावरण भक्तिमय और उत्साहपूर्ण रहता है। नवरात्रि पर्व पर रविवार को विशेष पुजा अर्चना शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होने पर पुजारी कैलाश सिंह ने सभी का आभार जताया। इस दौरान पत्रकार पदमा चौहान वहां उपस्थित थीं।