अपने 73वें जन्मदिन पर पीएम मोदी करेंगे PM Vishwakarma Yojana की शुरूआत 

By
sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
3 Min Read

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार, 17 सितंबर को ‘विश्वकर्मा जयंती’ के अवसर पर कलाकारों, शिल्पकारों और पारंपरिक कौशल से जुड़े अन्य लोगों की सहायता के लिए “पीएम विश्वकर्मा” नामक एक नई पहल की घोषणा करेंगे।

17 सितंबर को प्रधानमंत्री 73 साल के हो जाएंगे। एक बयान के अनुसार, मोदी ने पारंपरिक शिल्प में शामिल व्यक्तियों को न केवल आर्थिक रूप से मदद करने को प्राथमिकता दी है, बल्कि स्थानीय वस्तुओं, कला और शिल्प के माध्यम से सदियों पुरानी परंपरा, संस्कृति और अनूठी विरासत को जीवित और समृद्ध बनाए रखने को भी प्राथमिकता दी है। मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले से इसकी घोषणा की थी। आगामी चुनाव के लिहाज से मोदी का यह दांव भी काफी अहम माना जा रहा है।

यह पहल, जिसका मोदी ने शुरू में स्वतंत्रता दिवस पर वादा किया था, 13,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से समर्थित होगी। योजना के तहत बायोमेट्रिक-आधारित पीएम विश्वकर्मा साइट का उपयोग करके संभावित लाभार्थियों को सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से मुफ्त में नामांकित किया जाएगा। सरकार ने इस योजना के लिए 13,000 करोड़ रुपये मंजूर भी कर लिए हैं जिससे बुनकरों, सुनारों, लोहारों, कपड़े धोने वाले श्रमिकों और नाई सहित लगभग 30 लाख पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को लाभ होगा।

योजना के लक्षित लाभार्थियों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड के माध्यम से मान्यता मिलेगी, बुनियादी और उन्नत प्रशिक्षण से जुड़े कौशल उन्नयन, 15,000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन, लाख रुपये तक संपार्श्विक-मुक्त क्रेडिट सहायता (पहली किश्त) और 2 लाख (दूसरी किश्त) ) 5% रियायती ब्याज दर पर, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और विपणन सहायता भी होगा।

बयान के अनुसार, योजना का उद्देश्य “गुरु-शिष्य परंपरा” या प्राचीन कौशल की परिवार-आधारित प्रथा को विकसित करना और बनाए रखना भी है। बयान के अनुसार, योजना का प्राथमिक लक्ष्य कारीगरों और शिल्पकारों की वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार करना है, साथ ही स्थानीय और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में उनके एकीकरण को सुनिश्चित करना है।

इस पहल से पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी दोनों स्थानों के शिल्पकारों और शिल्पकारों को मदद मिलेगी। बढ़ई, नाव बनाने वाले, हथियार बनाने वाले, लोहार, हथौड़ा और टूल किट बनाने वाले, ताला बनाने वाले, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाले, मोची, राजमिस्त्री, टोकरी/चटाई/झाड़ू बनाने वाले और जटा बुनने वाले, गुड़िया और खिलौने बनाने वाले, नाई, माला बनाने वाले , धोबी; दर्जी और मछली पकड़ने के जाल बनाने वाले शामिल होंगे।

Share This Article
Follow:
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।