Sports News. भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला का इस्तीफा अब तय हैं। राजीव शुक्ला राज्यसभा के लिए सांसद चुने गए हैं। उन्होंने सांसद के तौर पर शपथ भी ले ली है। ऐसे में बीसीसीआई संविधान के अनुसार उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ेगा। जिसमें कहा गया है कि कोई भी लोक सेवक एक साथ दो पद पर नहीं रह सकता है। गुरुवार को होने वाली बीसीसीआई की शीर्ष परिषद की बैठक में अब उन्हें लेकर घोषणा हो सकती है।
बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा, ‘संविधान के अनुसार, उन्हें पद छोड़ना होगा हालांकि हमारी अभी इस बारे में बात नहीं हुई है। इसका कारण है कि अधिकतर पदाधिकारी अभी तक इंग्लैंड में थे। हमें शीर्ष परिषद की बैठक में इस पर बाता करने का अवसर मिलेगा। अभी यह नहीं कहा जा सकता कि वह अब तक अपना पद छोड़ेंगे। नियम 7.2 के अनुसार, ‘अध्यक्ष के उपलब्धि नहीं होने पर उपाध्यक्ष ही अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है। उपाध्यक्ष ऐसे कार्यों और कर्तव्यों का पालन करेगा जो उसे सामान्य निकाय या सर्वोच्च परिषद द्वारा सशक्त किए जा सकते हैं। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष को बीसीसीआई के पदाधिकारियों के रूप में नामित किया गया है। संविधान किसी भी पदाधिकारी को बीसीसीआई अधिकारी के रूप में बने रहने से रोकता है यदि वे लोक सेवक के रूप में कोई भूमिका निभाते हैं। यह विशेष रूप से राजनेताओं को बीसीसीआई में पद ग्रहण करने से रोकने के लिए बनाया गया था।
लोढ़ा समिति की सिफारिशों को अपनाए जाने के बाद बीसीसीआई का संविधान कहता है कि कोई भी सरकार या लोक सेवक बीसीसीआई में किसी पद पर नहीं रह सकता है। बीसीसीआई के संविधान में कहा गया कि अगर कोई व्यक्ति या अधिकारी, मंत्री या सरकारी कर्मचारी है तो उसे पदाधिकारी, संचालन परिषद या किसी समिति या किसी अन्य संगठन का सदस्य होने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।