सनातन धर्म अपनाने वाले लोगों का कहना है की हम कभी मस्जिद नहीं गए। कभी नमाज नहीं पढ़ी। ना ही मुस्लिम धर्म के अन्य संस्कारों को अपनाया। धर्म परिवर्तन करने वाली एक महिला का कहना है कि मेरा नाम पहले भी आशा था और अब भी यही है। हमारे बाप-दाद हिंदू थे, हम केवल मुसलमान नाम से मांग कर खाते थे। हम सदियों से देवी-देवता पूजते आए हैं। हमें नमाज, कलमा-वलमा कुछ नहीं आता है। धर्म परिवर्तन करने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
वहीं महाराज का कहना है कि आंबा में हमने शिवपुराण का संकल्प लिया था। जिसे सुनने के लिए यह लोग आए थे। इस दौरान उनकी भावना जागी और कहा कि हम बहुत सताए जा रहे हैं, हमारी पीढ़ियां परेशान है। हमारे पूर्वज जिस धर्म में रहे उस धर्म को धारण करना चाहते हैं। उन्होंने अपने आधार और वोटर आईडी कार्ड के साथ शपथपत्र दिया। इसके बाद सारे समाज के सामने उन्होंने सनातन धर्म को स्वीकार किया। उनका जनेऊ संस्कार के बाद नामकरण हुआ। इन लोगों ने घर वापसी की और सनातन धर्म को अपनाया। ये लगभग 10-12 के लोग हैं।