प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता मामला  453 नर्सिंग कॉलेज की मान्यता का डेटा हाई कोर्ट में पेश

sadbhawnapaati
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याचिकाकर्ता को निरीक्षण के लिए मिला 1 माह का समय 

जबलपुर. प्रदेश के 453 नर्सिंग कॉलेज की मान्यता संबंधित डेटा हाई कोर्ट में पेश किया गया। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस पीके कौरव की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को रिकॉर्ड के निरीक्षण की अनुमति प्रदान की है।

बता दें कि लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि शैक्षणिक सत्र 2000-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई थी। मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन कौंसिल ने निरीक्षण के बाद इन कॉलेजों की मान्यता दी थी।
वास्तविकता में ये कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं। ऐसा कोई कॉलेज नहीं है जो निर्धारित मापदण्ड पूरा करता है। अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है।
कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं। ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है। बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है।
नर्सिंग कॉलेज को फर्जी तरीके से मान्यता दिए जाने के आरोप में मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल के रजिस्टार को पद से हटा दिया गया था। फर्जी नर्सिंग कॉलेज संचालित होने के संबंध में उन्होंने शिकायत की थी। शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण उक्त याचिका दायर की गई है।
याचिका के साथ ऐसे कॉलेज की सूची व फोटो प्रस्तुत किए गए थे। याचिका में कहा गया था कि जब कॉलेज ही नहीं हैं तो छात्रों को कैसे पढ़ाया जाता होगा। याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने ऐसे कॉलेजों को अनावेदक बनाने याचिकाकर्ता को निर्देश दिए थे।
याचिका की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन कौंसिल की तरफ से पेश किए गए जवाब में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने 55 कॉलेजों से सिर्फ सात कॉलेजों को अनावेदक बनाया है। याचिकाकर्ता को अपनी आपत्ति काउंसिल के समक्ष प्रस्तुत करना था, परंतु उसने ऐसा नहीं किया। युगलपीठ ने प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेजों की निरीक्षण रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे।

याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान रिकॉर्ड पेश नहीं किए जाने पर युगलपीठ ने नाराजगी व्यक्त की थी। युगलपीठ ने 24 घंटो में रिकॉर्ड पेश करने के आदेश जारी किए थे।

याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया था कि रिकॉर्ड लेकर वाहन रवाना हो गया है। गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान प्रदेश के 453 नर्सिंग कॉलेज की मान्यता संबंधित ओरिजनल दस्तावेज युगलपीठ ने समक्ष पेश किए गए। याचिकाकर्ता की तरफ से दस्तावेज के निरीक्षण के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया।
सरकार की तरफ से ओरिजनल व सेंसिटिव डाटा होने के कारण निरीक्षण पर आपत्ति व्यक्त की गई। युगलपीठ ने आपत्ति को दरकिनार करते हुए निरीक्षण की अनुमति प्रदान की है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पैरवी की।
याचिकाकर्ता विशाल बघेल ने बताया की 30 हजार पेज की रिपोर्ट का निरीक्षण करने के लिए माननीय उच्च न्यायालय ने हमें 1 महीने का समय दिया है |
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