Religious And Spiritual News – 4 दिसंबर को शनिचरी अमावस्या पर करें ये उपाय, पितृ और शनि दोष के अशुभ प्रभाव होंगे दूर

sadbhawnapaati
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ज्योतिषियों के अनुसार सूर्योदय जिस तिथि में होता है, उस दिन स्नान-दान और पितृ कर्म किए जाने चाहिए। 4 तारीख को सूर्योदय के वक्त अमावस्या तिथि रहेगी और दोपहर 1.15 पर मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा शुरू होगी। इसीलिए शनिवार को ही अमावस्या पर्व मनाया जाएगा और इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है।
पितरों के लिए करें धूप-ध्यान
अमावस्या की दोपहर करीब 12 बजे पितरों के लिए धूप-ध्यान करें। इसके लिए गोबर का कंडा जलाएं और जब धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़-घी डालकर धूप दें। धूप देते समय पितरों का ध्यान करें। गाय और कुत्ते के लिए भोजन निकालें और जरूरतमंद लोगों को भोजन का दान करें। इससे पितरों को शांति मिलती है।
पवित्र नदी में स्नान करने की है परंपरा
अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करने और तीर्थ दर्शन करने की परंपरा है। अगर इस दिन किसी नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर पानी में थोड़ा-सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय सभी नदियों का तीर्थों का ध्यान करना चाहिए। ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान के समान पुण्य फल मिल सकता है।
शनि के मंत्र का करें जाप
शनिवार और अमावस्या के योग में शनिदेव के लिए भी विशेष धूप-ध्यान जरूर करें। शनिदेव के लिए तेल का दान करें। ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करें। तिल के तेल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं और मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें। शनिदेव के लिए काले वस्त्र और काले कंबल का भी दान करना चाहिए।
कालसर्प दोष के उपाय भी करें
कुंडली में पाया जाने वाला कालसर्प दोष परेशानी का कारण बनता है। इस दोष के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए शनिश्चरी अमावस्या पर सुबह स्नान आदि करने के बाद नवनाग स्त्रोत का पाठ करें और चांदी से निर्मित नाग-नागिन भगवान शिव को चढ़ाएं। इससे इस दोष के अशुभ प्रभाव में कमी आ सकती है और बिगड़े हुए काम फिर से बनने लगते हैं।
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