श्रीमद्भागवत के अनुसार गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2021) की रात चांद देखने से ही भगवान श्रीकृष्ण को स्यमंतक मणि चुराने का मिथ्या कंलक लगा था, जिससे मुक्ति पाने के लिए उन्होंने विधिवत गणेश चतुर्थी का व्रत किया था। आगे जानिए क्या है इस मान्यता से जुड़ी कथा…
क्यों नहीं देखते हैं इस दिन चंद्रमा?
जब भगवान गणेश को हाथी का मुख लगाया गया तो वे गजानन कहलाए और माता-पिता के रूप में पृथ्वी की सबसे पहले परिक्रमा करने के कारण
अग्रपूज्य हुए। सभी देवताओं ने उनकी स्तुति की पर चंद्रमा मंद-मंद मुस्कुराते रहें क्योंकि उन्हें अपने सौंदर्य पर अभिमान था। गणेशजी समझ गए कि चंद्रमा उनका उपहास कर रहे हैं। क्रोध में आकर भगवान श्रीगणेश ने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि आज से तुम काले हो जाओगे। इसके बाद चंद्रमा को अपनी भूल का एहसास हुआ। जब चंद्रमा ने श्रीगणेश से क्षमा मांगी तो गणेश जी ने कहा कि सूर्य के प्रकाश को पाकर तुम एक दिन पूर्ण हो जाओगे यानी पूर्ण प्रकाशित होंगे।
लेकिन चतुर्थी का यह दिन तुम्हें दण्ड देने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। इस दिन को याद कर कोई अन्य व्यक्ति अपने सौंदर्य पर अभिमान नहीं करेगा। जो कोई व्यक्ति भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर झूठा आरोप लगेगा।यदि भूल से चंद्र दर्शन हो जाए तो क्या करें?
यदि गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2021) की रात भूल से चंद्र दर्शन हो जाएं तो इस मंत्र का जाप करना चाहिए-
मंत्र
सिंह: प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हत:।
सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येष: स्यमन्तक:।।
मंत्रार्थ- सिंह ने प्रसेन को मारा और सिंह को जाम्बवान ने मारा। हे सुकुमारक बालक तू मत रोवे, तेरी ही यह स्यमन्तक मणि है।
इस मंत्र के प्रभाव से कलंक नहीं लगता है। जो मनुष्य झूठे आरोप-प्रत्यारोप में फंस जाए, वह इस मंत्र को जपकर आरोप मुक्त हो सकता है।
लेकिन चतुर्थी का यह दिन तुम्हें दण्ड देने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। इस दिन को याद कर कोई अन्य व्यक्ति अपने सौंदर्य पर अभिमान नहीं करेगा। जो कोई व्यक्ति भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर झूठा आरोप लगेगा।यदि भूल से चंद्र दर्शन हो जाए तो क्या करें?
यदि गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2021) की रात भूल से चंद्र दर्शन हो जाएं तो इस मंत्र का जाप करना चाहिए-
मंत्र
सिंह: प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हत:।
सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येष: स्यमन्तक:।।
मंत्रार्थ- सिंह ने प्रसेन को मारा और सिंह को जाम्बवान ने मारा। हे सुकुमारक बालक तू मत रोवे, तेरी ही यह स्यमन्तक मणि है।
इस मंत्र के प्रभाव से कलंक नहीं लगता है। जो मनुष्य झूठे आरोप-प्रत्यारोप में फंस जाए, वह इस मंत्र को जपकर आरोप मुक्त हो सकता है।