Religious And Spiritual News – जानिए श्री कृष्ण के बारे में अद्भुत तथ्‍य कि क्यों इतने सारे लोग उन पर करते हैं विश्‍वास

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sadbhawnapaati
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भगवान श्रीकृष्‍ण का सभी अवतरों में सर्वोच्च स्थान है। संपूर्ण भारत में उन्हीं के सबसे अधिक और प्रसिद्ध मंदिर है। दुनियाभर में उन्हीं पर शोध हो रहे हैं और दुनियाभर के लोग उन्हीं को सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। वे देश, धर्म और संप्रदाय से उपर उठकर सर्वमान्य महापुरुष हैं। आओ जानते हैं कि उनके बारे में ऐसे तथ्य जिन्हें जानकर लोग उनकी ओर आकर्षित होते हैं।1. भगवान नहीं, प्रेमी और सखा : श्री कृष्ण अपने भक्तों के मित्र, दोस्त या सखा हैं। वे कभी भी किसी भक्त के भगवान नहीं बने। उन्होंने हमेशा मित्रता को ही महत्व दिया। चाहे सुदामा हो, अर्जुन हो गया फिर कलिकाल में भक्त माधवदास और मीरा। श्रीकृष्‍ण अपने भक्तों के सखा भी और गुरु भी हैं। वे प्रेमी और सखा बनकर गुर ज्ञान देते हैं। उनके हजारों सखाओं की कहानियों को जानने से यह भेद खुल जाता है।

2. जग के नाथ जगन्नाथ : श्रीकृष्‍ण 14 विद्या और 16 आध्‍यात्मिक और 64 सांसारिक कलाओं में पारंगत थे। इसीलिए प्रभु श्रीकृष्‍ण जग के नाथ जगन्नाथ और जग के गुरु जगदगुरु कहलाते हैं।

3. पूर्णावतार : भगवान श्रीकृष्ण का भगवान होना ही उनकी शक्ति का स्रोत है। वे विष्णु के 10 अवतारों में से एक आठवें अवतार थे, जबकि 24 अवतारों में उनका नंबर 22वां था। उन्हें अपने अगले पिछले सभी जन्मों की याद थी। सभी अवतारों में उन्हें पूर्णावतार माना जाता है।

4. चमत्कार : उन्होंने बालपन में माता यशोदा मैया को अपने मुख में ब्रह्मांड के दर्शन करा दिए थे। वे सांदीपनि ऋषि के मृत पुत्र को यमराज के पास से पुन: ले आए थे। उन्होंने मथुरा में कुबड़ी कुब्जा को तक्षण ही ठीक कर दिया था। उन्होंने इंद्र का अहंकार चूर करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी चींटी अंगुली से उठा लिया था। उन्होंने धृतराष्ट्र की सभा में जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था तब उन्होंने अपने चमत्कार से द्रौपदी की साड़ी लंबी कर दी थी। बर्बरीक का सिर काटकर एक स्थान विशेष पर रख दिया था जहां से वह युद्ध देख सके। जयद्रथ वध के पूर्व उन्होंने अपनी माया से समय पूर्व ही सूर्यास्त करके पुन: उसे उदित कर दिया था। उन्होंने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे पुत्र परीक्षित पुन: जीवित कर दिया था और अश्‍वत्थामा को 3 हजार वर्षों तक जीवित रहने के श्राप दे दिया था। इस तरह उनके सैंकड़ों चमत्कार है।

5. शरीर का गुण : युद्ध के समय श्रीकृष्‍ण की देह विस्तृत और कठोर हो जाती थी और नृत्य के समय कोमल। उनके शरीर से मादक गंध निकलती रहती थी। इस गंध को वे अपने गुप्त अभियानों में छुपाने का उपक्रम करते थे। ऐसा माना जाता है कि ऐसा इसलिए हो जाता था क्योंकि वे योग और कलारिपट्टू विद्या में पारंगत थे।

6. गीता का ज्ञान : दुनिया में वे ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने युद्ध के मैदान में ज्ञान दिया और वह भी ऐसा ज्ञान जिस पर दुनियाभर में हजारों भाष्य लिखे गए और जो आज भी प्रासंगिक है। असल में गीता को ही एक मात्र धर्मग्रंथ माना जाता है। उनके जीवन चरित श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णित है। श्रीकृष्‍ण ने गीता के अलावा भी और भी कई गीताएं कहीं हैं। जैसे अनु गीता, उद्धव गीता आदि। गीता में उन्होंने धर्म, ईश्‍वर और मोक्ष का सच्चा रास्ता बताया।

7. जन्म और मृत्यु एक रहस्य : श्रीकृष्ण का जन्म एक रहस्य है क्योंकि उनका जन्म जेल में हुआ और वह भी विष्णु ने अपने 8वें अवतार के रूप में 8वें मनु वैवस्वत के मन्वंतर के 28वें द्वापर में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की रात्रि के 7 मुहूर्त निकल गए और 8वां उपस्थित हुआ तभी आधी रात के समय सबसे शुभ लग्न उपस्थित हुआ। उस लग्न पर केवल शुभ ग्रहों की दृष्टि थी। रोहिणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि के संयोग से जयंती नामक योग में लगभग 12 बजे अर्थात शून्य काल में जन्म लिया था। इसी तरह उन्होंने मृत्यु का भी चयन तब किया जबकि उन्हें अपने धाम जाना था। पौराणिक मान्यताओं अनुसार प्रभु ने त्रेता में राम के रूप में अवतार लेकर बाली को छुपकर तीर मारा था। कृष्णावतार के समय भगवान ने उसी बाली को जरा नामक बहेलिया बनाया और अपने लिए वैसी ही मृत्यु चुनी, जैसी बाली को दी थी।

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