Religious News. हर माह में दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं. एक कृष्ण पक्ष दूसरा शुक्ल पक्ष में. मार्गशीर्ष या अगहन माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित किया जाता है. इस बार 16 दिसंबर, गुरुवार के दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा. गुरुवार को इस व्रत के होने से इसे गुरु प्रदोष व्रत कहेंगे. इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. आइए जानते हैं प्रदोष व्रत भगवान शिव को क्यों समर्पित किया जाता है।
भगवान शिव को समर्पित है व्रत
पौराणिक मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब भी विष निकाला तो महादेव ने सृष्टि को बचाने के लिए वो विष पी लिया। विष पीते ही महादेव का कंठ शरीर नीला पड़ गया। उन्हें असहनीय जलन होने लगी। उस समय देवताओं ने जल, बेलपत्र आदि से महादेव की जलन को कम किया।
विष पीकर महादेव ने संसार की रक्षा की, ऐसे में पूरा विश्व भगवान का ऋणी हो गया. उस समय देवताओं ने महादेव की स्तुति की, जिससे महादेव बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने तांडव किया. इस घटना के वक्त त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल था. उस समय से महादेव को ये तिथि प्रदोष काल सबसे प्रिय हो गया. इसके साथ ही महादेव को प्रसन्न करने को लेकर भक्तों ने त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में पूजन की परंपरा शुरू कर दी इस व्रत को प्रदोष व्रत का नाम दिया जाने लगा