धार्मिक मान्यतानुसार नंदा सप्तमी पर व्रत-पूजन से मन को शांति मिलती है। यह व्रत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला भी माना गया है। इस बार शुक्रवार को अभिजित और विजय मुहूर्त में नंदा सप्तमी का पूजन करना अतिलाभदायी रहेगा, क्योंकि ये दोनों ही मुहूर्त कार्यों के लिए शुभ माने जाते हैं। शुक्रवार के दिन राहुकाल की अवधि में पूजन करने से बचना उचित रहेगा। मार्गशीर्ष सप्तमी के सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करके सूर्य मंत्र और श्री गणेश के मंत्र का जाप करना चाहिए।
कौन हैं नंदा देवी
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार नंदा देवी माता पार्वती का स्वरूप मानी जाती है। नंदा देवी को नवदुर्गा में से एक देवी माना जाता है। इनका पूजन प्राचीन काल से ही हिमालय क्षेत्र में किया जाता रहा है। नंदा सप्तमी के खास अवसर पर आप माता पार्वती के नंदा स्वरूप देवी का पूजन करके सुखी जीवन की कामना का वरदान प्राप्त कर सकते हैं।
इस दिन प्रातःकाल दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर सूर्यदेव को जल से अर्घ्य दें। सूर्य मंत्र का जाप करें। तत्श्चात प्रथम पूज्य श्री गणेश का पूजन करके देवी नंदा या पार्वती माता का पूजन करके आरती करें। इस दिन माता पार्वती के मंत्र, पार्वती चालीसा और नवदुर्गा का पूजन करें। श्री गणेश और माता पार्वती के साथ शिव जी का पूजन अवश्य ही करें।