Religious News. ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस बार 14 साल बाद पौष मास के रविवार और सप्तमी तिथि का संयोग 26 दिसंबर, रविवार को बन रहा है। इससे पहले 30 दिसंबर 2007 को ऐसा हुआ था जब रविवार को पौष महीने के कृष्णपक्ष की सप्तमी थी। अब 3 साल बाद 22 दिसंबर 2024 में ऐसी स्थिति बनेगी।
उगते सूरज को अर्घ्य दें
– सूर्योदय से पहले नहाने के बाद तांबे के लोटे में शुद्धजल भर लें। उसके साथ ही लोटे में लाल चंदन, लाल फूल, चावल और कुछ गेहूं के दाने भी डाल लें।
– ऊं घृणि सूर्याय नम: मंत्र बोलें और उगते हुए सूरज को इस लोटे का जल चढ़ाएं। इसके बाद भगवान भास्कर को नमस्कार करें।
– गायत्री मंत्र का जाप करें और हो सके तो आदित्य हृदय स्तोत्र का भी पाठ करें। इसके अलावा भगवान सूर्य के 12 नामों का जाप भी कर सकते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
– सूर्य के सामने बैठकर बिना नमक का व्रत करने का संकल्प लें। संभव हो तो पूरे दिन तांबे के बर्तन का पानी पीएं। पूरे दिन व्रत रखें और फलाहर में नमक न खाएं।
– एक समय भोजन करें तो उसमें भी नमक का इस्तेमाल न करें। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद श्रद्धानुसार भोजन, वस्त्र या कोई भी उपयोगी वस्तु दान करें।
– गाय को चारा खिलाएं और अन्य पशु-पक्षियों को भी खाने की कोई वस्तु खिलाएं। अपनी इच्छा अनुसार जरूरतमंदों को दान करें।
दूर होती हैं बीमारियां
– भानु सप्तमी पर सूर्य को जल चढ़ाने से बुद्धि का विकास होता है और मानसिक शांति मिलती है और वह व्यक्ति कभी भी अंधा ,दरिद्र, दुखी नहीं रहता।
– सूर्य की पूजा करने से मनुष्य के सब रोग दूर हो जाते हैं। भानु सप्तमी के दिन दान करने से पुण्य बढ़ता है और लक्ष्मीजी भी प्रसन्न होती हैं।
– पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यह व्रत करने से पिता और पुत्र में प्रेम बना रहता है। इस दिन सामर्थ्य के अनुसार गरीबों और ब्राह्मणों को दान देना चाहिए।