-राजस्व संबंधी शिकायतों के निराकरण की गति पड़ी धीमी
भोपाल। प्रदेश में अधिकारियों-कर्मचारियों की कमी का खामियाजा कई विभागों को उठाना पड़ रहा है। सबसे अधिक असर राजस्व विभाग पर पड़ रहा है।
प्रदेश में राजस्व संबंधी शिकायतों की पेंडेंसी लगातार बढ़ रही है। पेंडेंसी अब तक बढ़कर 10 लाख से अधिक हो गई है। इस कारण जहां सरकार को राजस्व हानि हो रही है, वहीं लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
नामांतरण (दाखिल खारिज ), ग्राम सभा की भूमि को सुरक्षित करने एवं अवैध कब्जेदारों की बेदखली, मेड़बंदी एवं पैमाइश (सीमांकन), बंटवारा, अतिक्रमण, भूमि की नीलामी से संबंधित मामले सबसे अधिक लंबित हैं।
अफसरों की कमी के कारण तहसील से लेकर संभाग आयुक्त न्यायालय तक राजस्व से संबंधित शिकायतों के निराकरण की गति धीमी हो गई है। विभाग के अधिकारी बताते हैं कि तीन साल पहले जहां लंबित प्रकरणों की संख्या 10 लाख से अधिक हो गई है। अकेले इस साल सीएम हेल्प लाइन में ही 1.95 लाख आवेदन दिए जा चुके हैं।
प्रकरणों के निराकरण में कमी
माना जा रहा है कि पंचायत नगरीय निकाय चुनावों और अफसरों की कमी का असर प्रकरणों के निराकरण पर पड़ा है। भितरवार तहसील के ग्राम इकहरा निवासी राघवेन्द्र सिंह चौहान बताते हैं कि उनकी जमीन को ऑनलाइन अपडेट नहीं किया जा रहा है।
टीकमगढ़ जिले के लिधौरा के निवासियों ने तहसीलदार न्यायालय में आम रास्ता खुलवाने का आवेदन दिया है। ग्राम मड़वा के नरेन्द्र तिवारी ने पीएम किसान सम्मान निधि प्राप्त करने के लिए पंजीयन नहीं होने की शिकायत की है। बैरसिया अन्तर्गत ग्राम बर्रई के रामचरण यादव ने सीमांकन के लिए आवेदन दिया है।
खरगोन जिले के ग्राम बनिहार के भगवान कुमरावत ने सीएम हेल्पलाइन में बताया कि उसकी जमीन आज तक ऑनलाइन नहीं हुई। दफ्तर के कई चक्कर लगा चुके हैं। विभाग से जुड़ी शिकायतों के ये कुछ उदाहरण हैं। लेकिन विभाग के पोर्टल अनुसार 3 अगस्त की स्थिति में पेंडिंग हैं। 10,33,054 मामले पेंडिंग है।
कई जिलों में राजस्व अधिकारियों की कमी
छतरपुर में पिछले छह माह एसडीएम नहीं है। नौगांव के एसडीएम को प्रभार दिया गया है। तहसील कार्यालय में राजस्व संबंधी शिकायतों का निराकरण लगभग ठप है।
यही हाल प्रदेश के कई और जिलों में है। लोक सेवा केंद्र से अनिवार्य रूप से नामांतरण और बंटवारा के आवेदन प्रारंभ हो जाएं तो नामांतरण और बंटवारा क्रमश: 30 और 45 दिन में करना अनिवार्य है अन्यथा से तहसीलदार पर 250 रुपए प्रतिदिन का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।
उधर तहसीलदार प्रकरण निबटाने में गंभीर नहीं हैं, तारीख पर तारीख बढ़ाते रहते हैं। 40 प्रतिशत पटवारी मामलों को उलझा कर रखे हुए हैं। कोई बाबू प्रकरण उलझाता है तो तहसीलदार कलेक्टर को सूचना नहीं देते।
पटवारी और राजस्व निरीक्षक द्वारा रोकी गई फाइल के बारे में भी कलेक्टर को नहीं बताया जाता। 90 प्रतिशत तहसीलों में नामांतरण बंटवारा के मामले सुलझ नहीं रहे। तहसीलदार लोक सेवा केंद्र में आवेदन नहीं आने देते। सीधे तहसील कार्यालय मंगाते हैं।

 
			 
				 
			 
                                
                             
 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		