लगभग पौने तीन लाख मतदाताओं की संख्या के साथ पश्चिम क्षेत्र को घेरे इंदौर की शहरी विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 जिसे बीजेपी की अयोध्या भी कहा जाता है, लगभग 35000 सिंधी, 25000 जैन, 18000 प्रजापत, 32000 मुस्लिम जिनमें 2 पार्षद कुल 55% ओबीसी समाज, इनके अलावा ब्राह्मण, मराठी, ठाकुर और अन्य समाज के वोटर भी बड़ी संख्या में है।
1990 में कैलाश विजयवर्गीय ने बीजेपी की जीत का सिलसिला चालू किया जो निरंतर जारी है कैलाश विजयवर्गीय के बाद स्वर्गीय लक्ष्मण सिंह गौड़ तीन बार विधायक रहे और उनके बाद उनकी पत्नी श्रीमती मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ तीन बार से विधायक है 30 वर्षों से बीजेपी का अभेद किला बन चुके विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 में इस बार भी कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आता हालांकि भाजपा की अंदरूनी कमजोरी के कारण इस सीट पर परिणाम बदल सकते हैं पर इसके लिए कांग्रेस के सभी गुटों को एक साथ एक जाजम पर आना होगा जो कि वर्तमान में दिख नहीं रहा। हालांकि जनता चंदे के धंधे से परेशान है इसलिए स्पष्ट जनाधार किसे मिलेगा यह कहना कठिन है।
स्वर्गीय लक्ष्मण सिंह गौड़, सुदर्शन गुप्ता, गजेंद्र वर्मा और भी कई नेता वैष्णव स्कूल/वैष्णव कॉलेज के छात्र यहां जुड़े रहे हैं, क्षेत्र क्रमांक 4 के राजनीति में वैष्णव स्कूल/वैष्णव कॉलेज का महत्वपूर्ण योगदान होता है, या ये कहें कि इस क्षेत्र की राजनीती का केंद्र रहा है।
बीजेपी उम्मीदवार :- मालिनी लक्ष्मण गौड़, शंकर लालवानी, एकलव्य गौड़
मालिनी लक्ष्मण गौड़ :-
वर्तमान में विधायक है, पति स्वर्गीय लक्ष्मण सिंह गौड़ की विरासत को बखूबी संभाल रही है, एक उपचुनाव के साथ तीन बार विधायक रह चुकी मालिनी गौड़ इस दरमियान शहर की महापौर भी रह चुके हैं। महापौर रहते समय शहर के विकास में अभूतपूर्व योगदान दे चुकी है, इन्हीं के कार्यकाल में स्वच्छता में नंबर वन का खिताब इंदौर को मिला था, इसके अलावा अनेक उपलब्धियां इनके खाते में दर्ज है। व्यक्तिगत रूप से सौम्य और व्यवहारिक श्रीमती गौड़ चार नंबर की नब्ज को बहुत अच्छे से समझती है, इस बार भी जीत की प्रबल दावेदार मानी जा रही है।
इनका माइनस यह है कि परिवार द्वारा क्षेत्र की जनता के साथ दुर्व्यवहार, मारपीट, दबंगई कब्जे से स्थानीय जनता और कार्यकर्ताओं में रोष है, परिवारवाद के कारण और एकाधिकार होने से कार्यकर्ताओं में विरोध के सुर है। इस बार वोटर इनके बारे में खुले दिल से कोई जवाब नहीं दे रहे हैं, मन में रखे हुए दर्द को वोट में परिवर्तित होने पर बड़ा नुकसान उठा सकती है।
शंकर लालवानी :-
रिकॉर्ड मतों से लोकसभा सीट जीतने वाले शंकर लालवानी की नजर हमेशा से विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 पर रही है स्वर्गीय लक्ष्मण गॉड की मृत्यु के बाद भी लालवानी इस सीट के लिए दावेदार रहे किंतु वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप से टिकट मालिनी गौड़ को मिला था उसके बाद श्रीमती गौड़ इस सीट पर जीत बनाए रखी हैं लालवानी सिंधी वोटरों के कारण इस सीट पर मजबूत दावेदार हैं और मुख्यमंत्री के नजदीकी होने के कारण अंतिम समय में अपना टिकट फाइनल मान रहे हैं।
इनका माइनस यह है कि- सांसद रहते हुए भी शहर को बहुत बड़ी कोई उपलब्धि नहीं दिला पाए, संसदीय लोकसभा चुनाव में सिंधी वोटो को जरूर पा लिया लेकिन विधानसभा के समीकरण अलग होंगे, अपने कुछ लोगों के घेरे में रहकर सिर्फ वही सुनते हैं जो यह सुनना चाहते हैं इसका खामियाजा इन्हें अगले किसी भी चुनाव में देखने को मिलेगा।
एकलव्य स्व.लक्ष्मण सिंह गौड़ :-
कांग्रेस उम्मीदवार -
अक्षय बम :-
इनका माइनस यह है – चुनावी समय में ही सक्रिय रहते हैं, व्यक्तिगत जिंदगी के चर्चे भी जनता में प्रसारित हो रहे हैं, जनता और कार्यकर्ताओं से कम्युनिकेशन का तरीका सही नहीं होने से नुकसान उठा सकते हैं, इस कारण कई जगह विरोध भी हो रहा है, विरोधियों में इनका दिया हुआ स्टेटमेंट भारी प्रसारित है कि दिग्विजय सिंह को मेरे परिवार से मदद जाती है, इसलिए मेरा टिकट पक्का है।
राजा मंधवानी :–
गजेंद्र वर्मा :–
इनका माइनस यह है – गलाने की राजनीति के शिकार है बरसों मेहनत करने के बाद भी बड़े नेता स्वीकार नहीं करते, गुस्सैल होने का खामियाजा हर जगह भुगतते हैं, कमलनाथ के प्रति इनकी श्रद्धा ही इनकी सबसे बड़ी दुश्मन है। जमीनी मुद्दों को नहीं उठा पाए, कार्यकर्ताओं से सतत संपर्क कमजोर है।