समलैंगिक विवाह: कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में कमेटी बनने को तैयार हुआ केंद्र

By
sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
3 Min Read

सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी 
नई दिल्ली। भारत में समलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता पर वर्तमान में चर्चा हो रही है। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को समलैंगिक विवाह के मामले पर सुनवाई की जा रही है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वह समलैंगिक कपल्‍स को सोशल बेनेफिट्स देने पर विचार करने के लिए समिति बनाने को तैयार है। यह कमेटी कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्‍यक्षता में बनेगी जो इस पर विचार करेगी कि अगर समलैंगिक कपल्स की शादी को कानूनी मान्यता न मिले तब उन्हें कौन-कौन से सामाजिक फायदे उपलब्‍ध कराए जा सकते हैं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया कि समलैंगिक जोड़े के सामने आने वाले मुद्दों को देखने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा। एसजी मेहता का कहना है कि याचिकाकर्ता सुझाव दे सकते हैं, ताकि समिति इस पर ध्यान दे सके। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 3 मई तक संभावित सामाजिक लाभों पर जवाब देने को कहा था।
इससे पहले 27 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सामाजिक लाभों पर अपनी प्रतिक्रिया के साथ 3 मई को वापस आने के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि समलैंगिक जोड़ों को उनकी वैवाहिक स्थिति की कानूनी मान्यता के बिना क्या सामाजिक लाभ दिए जा सकते हैं सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि समलैंगिक जोड़ों की चिंताओं को दूर करने के लिए प्रशासनिक कदमों की खोज के सुझाव के बारे में केंद्र सरकार सकारात्मक है।
मामले की सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समलैंगिक विवाह को मान्यता का मुद्दा हम तय करने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान पीठ ये तय करेगी कि सैमलैंगिक विवाह को मान्यता दी जा सकती है या नहीं। वहीं सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘कुछ ना मिले इससे कुछ पाना उपलब्धि होगी।
न्यायालय एक साथ रहने के अधिकार की स्वीकृति सुनिश्चित कर सकता है।  साथ ही जस्टिस एस रविंद्र भट ने याचिकाकर्ताओं को याद दिलाया कि अमेरिका के कानून में बदलाव में आधी सदी लग गई।
मालूम हो कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल, एस रवींद्र भट, पीएस नरसिम्हा और हेमा कोहली की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ समलैंगिक विवाहों के लिए कानूनी मान्यता की मांग करने वाली दलीलों के एक बेंच पर सुनवाई कर रही है।
Share This Article
Follow:
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।