बूंद-बूंद सहेजो

Rajendra Singh
By
Rajendra Singh
पर्यावरण संरक्षण एवं जैविक खेती के प्रति प्रशिक्षण
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बूंद-बूंद सहेजो

जीवन का आधार है जल
जल बिन कल का अर्थ नहीं।

जल बिन सूखी फसलों पर
वर्षा का कोई अर्थ नहीं।।

ख़ूब बहाते पानी हम
फिर त्राहि-त्राहि का अर्थ नहीं।

कुँए, ताल, नदी को भूले
अब मटके का भी कोई अर्थ नहीं।।

बिन पानी के खुशहाली का
रह जाता कोई अर्थ नहीं।

बूंद-बूंद को नहीं सहेजा तो
सागर का भी कोई अर्थ नहीं।।

– डॉ. दिलीप वागेला, इंदौर

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