SC ने कहा- सिर्फ ऑनलाइन क्लासेस हैं जारी इसलिए शिक्षण संस्थान करें स्कूल फीस में कटौती

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल बंद है और सिर्फ ऑनलाइन कक्षाए ही जारी हैं ऐसे में स्कूलों की रनिंग कॉस्ट काफी कम हो गई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे में शिक्षण संस्थानों को फीस में कटौती करनी चाहिए.

कोरोना संक्रमण महामारी की वजह से स्कूल बंद कर दिए गए हैं और स्टूडेंट्स को सिर्फ ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए शिक्षा दी जा रही है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को फीस कम करनी चाहिए क्योंकि मौजूदा हालत में स्कूलों में उपलब्ध विभिन्न सुविधाएं बंद हैं इसलिए स्कूलों की रनिंग कॉस्ट भी कम हो गई है.

एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स को पैरेंट्स की मदद करनी चाहिए

जस्टिस ए एम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के मैनेजमेंट को महामारी के चलते लोगों द्वारा फेस की जा रही समस्याओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और इन संस्थानों को आगे बढ़कर इस कठिन समय में पैरेंट्स और स्टूडेंट्स की सहायता करना चाहिए.

स्टूडेंट्स द्वारा इस्तेमाल नहीं की गई सुविधाओं के संबंध में स्कूल फीस न लें

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पीठ ने कहा कि कानून में, स्कूल प्रबंधन को उन गतिविधियों और सुविधाओं के संबंध में फीस नहीं लेनी चाहिए जो मौजूदा हालात के कारण स्टूडेंट्स द्वारा इस्तेमाल नहीं की जा रही हैं. इस तरह की गतिविधियों पर ओवरहेड्स के संबंध में भी फीस की मांग करना मुनाफाखोरी और व्यावसायीकरण में शामिल होने से कम नहीं होगा. यह एक फैक्ट है और इस पर न्यायिक नोटिस भी लिया जा सकता है कि पूर्ण लॉकडाउन के कारण, शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के दौरान स्कूलों को लंबे समय तक खोलने की अनुमति नहीं थी. इसके अलावा, स्कूल प्रबंधन की इस दौरान ओवरहेड्स और विभिन्न वस्तुओं जैसे पेट्रोल / डीजल, बिजली, रखरखाव लागत, जल शुल्क, स्टेशनरी शुल्क, आदि पर बचत भी हुई है. “

स्कूलों को फीस कम करनी चाहिए

राजस्थान के निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों की याचिका को राज्य सरकार के निर्देश के विरुद्ध मानते हुए कि उन्हें महामारी के दौरान ट्यूशन फीस का 30% चुकाना है, पीठ ने कहा कि इस तरह का आदेश पारित करने के लिए राज्य सरकार के पास कोई कानून नहीं है लेकिन पीठ इस बात पर सहमत है कि स्कूलों को फीस कम करनी चाहिए थी.

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।