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यदि सीबीआई PGDM कोर्स चलाने वाली अल्पसंख्यक संस्थानों की जांच करे तो मप्र का स्कॉलरशिप घोटाला कई गुना बड़ा निकलेगा

केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय में 140 करोड़ का स्कॉलरशिप स्कीम घोटाला आया सामने, मंत्री स्मृति ईरानी ने CBI को सौंपी जांच.

अल्पसंख्यक ही नहीं अधिकारियों की संलिप्तता से आदिवासी विकास और पिछड़ा वर्ग में भी हो चुके हैं हजारों करोड़ों के घोटाले सरकार ने नहीं लिया कोई बड़ा एक्शन.

 

देवेन्द्र मालवीय

MP News. केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय की जांच में स्कॉलरशिप स्कीम में घोटाला सामने आया है. जांच में पता चला है कि फर्जी मदरसों और फर्जी छात्रों के नाम पर करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति बैंक खाते के जरिए निकाल ली गई. मामले की जानकारी मिलते ही अल्पसंख्यक मंत्रालय ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी है. शुरुआती जांच में सामने आया कि देश के 1572 संस्थानों में करीब 830 संस्थान सिर्फ कागजों में पाए गए. इनमें पिछले 5 सालों में 144.83 करोड़ की स्कॉलरशिप का घोटाला किया गया. वहीं देश में करीब 1 लाख 80 हजार अल्पसंख्यक संस्थान है.

अल्पसंख्यक मंत्रालय ने कहा

अल्पसंख्यक मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि करीब 53 फीसदी संस्थान फेक या नॉन ऑपरेटिव निकले. इसके लिए मंत्रालय ने नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) से जांच करवाई गई थी. सरकार ने 830 फर्जी संस्थानों के बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिए हैं. सूत्रों की मानें तो मदरसों और अल्पसंख्यक संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों को ये स्कॉलरशिप दी जाती है. कई मामलों में पता चला कि एक मोबाइल नंबर पर 22 बच्चे रजिस्टर्ड थे.

इसी तरह केरल के एक जिले मल्लपुरम में पिछले 4 साल में 8 लाख बच्चों को छात्रवृत्ति मिली. असम के नौगांव के एक बैंक शाखा में 66 हजार स्कॉलरशिप खाते एक ही बार में खोले गए. इसी तरह कश्मीर के अनंतनाग डिग्री कॉलेज का मामला सामने आया. कॉलेज में कुल 5000 छात्रों की संख्या है, लेकिन फर्जीवाड़ा कर 7000 छात्रों का स्कॉलरशिप लिया जा रहा है.

कैसे हुआ खुलासा?

अल्पसंख्यक मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, साल 2016 में जब पूरी स्कॉलरशिप प्रक्रिया को डिजिटलाइज किया गया तो घोटाले की परतें खुलना शुरू हुई. साल 2022 में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को जब अल्पसंख्यक मंत्रालय का प्रभार दिया गया तो इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बड़े लेवल पर जांच शुरू कराई गई.

देश के 12 लाख बैंक की शाखाओं में हर ब्रांच में करीब 5000 से ज्यादा बच्चों को स्कॉलरशिप के पैसे जा रहे थे. ये स्कॉलरशिप अल्पसंख्यक समुदाय के पहली क्लास से लेकर पीएचडी तक के छात्रों को दिया जाता है. इसके तहत 4000 से लेकर 25000 रुपये तक दिए जाते हैं. जांच में सामने आया कि 1.32 लाख बच्चे बिना हॉस्टल के रह रहे थे, लेकिन वह इसके नाम पर मिलने वाली छात्रवृत्ति ले रहे थे.

स्कॉलरशिप की क्या प्रक्रिया है?

अल्पसंख्यक मंत्रालय की जारी की जाने वाली स्कॉलरशिप भले ही केंद्र की ओर से दी जा रही होती है, लेकिन उसका भौतिक सत्यापन और प्रक्रिया राज्य सरकार की मशीनरी पर निर्भर करता है. ऐसे में अल्पसंख्यक के जो भी संस्थान हैं वह राज्य के जिला इकाई में अल्पसंख्यक विभाग के दफ्तर में रजिस्टर्ड किए जाते हैं.

नोडल अधिकारी भी जांच के घेरे में

संस्थानों के नोडल अधिकारियों ने ओके रिपोर्ट कैसे दे दी, कैसे जिला नोडल अधिकारी ने फर्जी मामलों का सत्यापन किया और कितने राज्यों ने घोटाले को वर्षों तक जारी रहने दिया आदि की जांच सीबीआई करेगी. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के एक सूत्र ने मीडिया को बताया कि बैंकों ने लाभार्थियों के लिए फर्जी खाते खोलने की अनुमति कैसे दी. फर्जी आधार कार्ड और केवाईसी की जांच चल रही है.

मध्यप्रदेश की बात करें तो ऐसा कोई कोर्स ढूंढना मुश्किल है जहां छात्रवृत्ति घोटाला ना हुआ हो। सत्र 2011-12 में सामने आया पैरामेडिकल छात्रवृत्ति घोटाला जिसमें कुछ चुनिंदा कॉलेजों को टारगेट कर जांच से इतिश्री कर ली गई जबकि तत्कालीन समय में मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग, बी एड और अन्य कोर्स में भी समानांतर घोटाले हुए।

जिसकी शिकायत लोकायुक्त को हुई थी पर जांच के नाम पर चुनिंदा कालेजों को टारगेट किया गया, इसके बाद सरकार ने छात्रवृत्ति पोर्टल 2.0 लॉन्च किया और जिसमें गारंटी दी गई कि यहां फर्जीवाड़ा नहीं हो सकता पर सरकार के दावे को धता करते शिक्षा माफियाओं द्वारा पीजीडीएम कोर्स में हजारों करोड़ों का घोटाला किया गया जिसकी जांच ईओडब्ल्यू द्वारा जारी है.

PGDM कोर्स चलाने वाली अल्पसंख्यक संस्थानों में मप्र का स्कॉलरशिप घोटाला कई गुना

पीजीडीएम कोर्स में एक छात्र के लिए दो अलग-अलग विभागों में अलग-अलग छात्रवृत्ति की राशि दी जाती थी ओबीसी विभाग छात्रों को 166000/ प्रति छात्र छात्रवृत्ति देता था वही एससी, एसटी के छात्रों को मात्र 50-55000/ छात्रवृत्ति के रूप में मिलते थे, इसी का फायदा उठाकर संस्थाओं ने अपनी शैक्षणिक संस्था को माइनॉरिटी संस्था घोषित कर ऑनलाइन एडमिशन लिए और हजारों करोड़ों रुपए का छात्रवृत्ति घोटाला किया ऐसे संस्थानों में ओबीसी और अल्पसंख्यक के विद्यार्थियों को ही एडमिशन दिए गए ।

बता दें कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा स्कूलों, मदरसों की अल्पसंख्यक संस्थाओं के खिलाफ के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए गए है, मध्य प्रदेश सरकार और सुश्री ईरानी द्वारा पीजीडीएम और अन्य कोर्स में हुए छात्रवृत्ति घोटाले की जांच भी सीबीआई से करवाने के आदेश दिए जाना चाहिए, तभी हजारों करोड़ों का घोटाला निकल कर आएगा । छात्रवृत्ति घोटाले की काली कमाई से कॉलेज संचालक लग्जरी जीवन व्यतीत कर रहे हैं कुछ संचालक बड़ी राजनेतिक पार्टियों में घुसकर नेतागिरी कर रहे हैं।

 

सदभावना सलाह…

यह होगा तो थमेंगे घोटाले - प्रत्येक छात्र की बायोमैट्रिक अटेंडेंस निश्चित हो और बायोमेट्रिक मशीन के ऊपर सीसीटीवी कैमरे, क्लास रूम में कैमरे हो. जिसकी रिकॉर्डिंग ऑनलाइन और ऑफलाइन संबंधित काउंसिल और यूनिवर्सिटी को पहुंचे । परीक्षा में पास होने के बाद छात्रवृत्ति वितरण किया जाए।

 

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